डेंगू-मलेरिया फैलाने वाले मच्छर ही लोगों को लगाएंगे वैक्सीन? नई स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
वैज्ञानिकों ने ऐसी वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल कर ली है, जो मच्छरों के माध्यम से लगाई जाएगी. इस बारे में की गई स्टडी में मलेरिया से ग्रसित कई लोग पूरी तरह ठीक भी हो गए.
अब डेंगू-मलेरिया फैलाने वाले मच्छर आपको काटें तो उन्हें मारिएगा नहीं, हो सकता है मच्छर आपको वैक्सीन लगा रहे हों. यह बात मजाक लग सकती है, लेकिन सच है. वैज्ञानिकों ने ऐसी वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल कर ली है, जो मच्छरों के माध्यम से लगाई जाएगी. खास बात यह है कि इस बारे में की गई स्टडी में मलेरिया से ग्रसित कई लोग पूरी तरह ठीक भी हो गए.
बता दें, विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में मलेरिया के कारण 5,97,000 लोगों की मौत हो गई थी. इनमें सबसे ज्यादा 95 फीसदी मौतें अफ्रीकी देशों में हुई थीं. वैज्ञानिकों के अनुमान के मुताबिक, हर साल 240 मिलियन मलेरिया के मामले सामने आते हैं. मलेरिया को जड़ से खत्म करने के लिए नीदरलैंड की रैंडबाउंड यूनिवर्सिटी और लीडन यूनिवर्सिटी ने इस वैक्सीन को मिलकर बनाया है. इन वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने मच्छरों को ऐसे टीके देने के लिए सफलतापूर्वक तैयार किया है, जो संभवत: मलेरिया के खिलाफ बेहतर इम्यूनिटी प्रदान करते हैं.
कैसे काम करेगा टीका
वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस टीके में प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम के कमजोर स्ट्रेन का इस्तेमाल करता है यह स्ट्रेन मलेरिया के सबसे घातक रूप का कारण बनता है. लीडन यूनिवर्सिटी में वैक्सीनोलॉजी के प्रोफेसर मेटा रोस्टेनबर्ग ने बताया कि हमने मलेरिया पैरासाइट में से एक महत्वपूर्ण जीन को हटा दिया है. ऐसे में यह पैरासाइट अब भी लोगों को संक्रमित कर सकता है, लेकिन उन्हें बीमार नहीं कर सकता है. उन्होंने बताया कि जब पैरासाइट में यह जीन रहेगा ही नहीं तो वह न तो इंसान के लीवर में अपना विकास कर सकते हैं और न ही उसके खून में मिल सकते हैं.
कैसे किया गया ट्रायल
पहले परीक्षण में वैज्ञानिकों ने PfSPZ GA1 नामक आनुवंशिक रूप से संशोधित पैरासाइट से प्राप्त मलेरिया वैक्सीन का टेस्ट किया. इस परीक्षण से पता चला कि GA1 वैक्सीन का उपयोग सुरक्षित था और इससे मलेरिया की शुरुआत देर में हुई, लेकिन बीमार होने का खतरा बना रहा. इसके बाद वैज्ञानिकों ने दूसरा परीक्षण किया, जिसमें GA2 का इस्तेमाल किया गया. इन परीक्षण से सामने आया कि GA1 वैक्सीन वाले 13 प्रतिशत और GA2 वैक्सीन वाले 89 प्रतिशत लोगों में मलेरिया से प्रतिरक्षा विकसित हुई. दरअसल, GA1 पैरासाइट ने डेवलप होने में 24 घंटे का समय लेता है, जबकि GA2 पैरासाइट विकसित होने में एक सप्ताह तक का समय लेता है, इससे लिवर में इसके खिलाफ फाइट करने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली को पहचान करने और उसके खिलाफ एक्टिव होने के लिए ज्यादा समय मिल जाता है.
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