दिल्ली तो यूं ही बदनाम है, असल में भारत का ये शहर है सबसे ज्यादा गंदा- रिपोर्ट
प्रदूषण का नाम सुनते ही दिमाग सीधा दिल्ली पहुंच जाता है, जबकि दिल्ली से भी ज्यादा प्रदूषित शहर मौजूद है हमारे देश में, आइए जानते हैं कौन सा है वो शहर.
Most Dirty City : प्रदूषण का नाम आते ही दिमाग में पहला नाम दिल वालो की दिल्ली का ही आता है. हालांकि, ऐसा बिल्कुल नहीं है, देश सबसे प्रदूषित शहर दिल्ली नहीं है. पांचवी ऐनुअल वर्ल्ड एयर क्वॉलिटी रिपोर्ट में यह साफ है कि दुनिया की दूसरी सबसे प्रदूषित राजधानी नई दिल्ली है, जबकि देश में प्रदूषण के लिए दिल्ली का नंबर पहले स्थान पर नहीं आता है. प्रदूषण के लिए देश में पहला स्थान दिल्ली के ठीक बग़ल में पड़ने वाले राजस्थान के औद्योगिक शहर भिवाड़ी को दिया गया है.
‘सबसे प्रदूषित’ शहर का लेबल कैसे तय होता है?
स्वित्ज़रलैंड की एक कंपनी IQ एयर है, जो एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग और एयर क्लीनिंग प्रोडक्ट्स बनाती है. हवा की क्वॉलिटी का पता लगाने और उसे साफ़ करने के लिए यंत्र बनाती है.
IQ एयर की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे के दौरान देश के 60 फीसदी शहरों में प्रदूषण विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के तय किए मानकों से 7 गुना ज़्यादा है.
PM-2.5 एक पॉल्यूटेंट होता है. PM का मतलब पार्टिकूलेट मैटर होता है. पार्टिकुलेट मैटर की मात्रा हवा में कितनी है, इसी से तय होता है कि उस देश या शहर की हवा मे कितना प्रदूषण है. राजस्थान के औद्योगिक शहर भिवाड़ी में PM-2.5 की मात्रा 92.7 माइक्रोग्राम्स/क्यूबिक मीटर है. और देश में ये पिछले साल के मुक़ाबले घट कर 53.3 माइक्रोग्राम्स/क्यूबिक मीटर हो गया है. अब भी मानकों के अनुसार ये बहुत ख़राब की कैटगरी में है.
कंपनी के सर्वे का सैंपल साइज़ आखिर कितना बड़ा है?
कंपनी ने दावा किया है कि उन्होंने 131 भारत की 7,323 जगहों से 30 हज़ार एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग स्टेशन का डेटा इकट्ठा किया और डेटा का अध्ययन किया. इस डेटा के आधार पर कंपनी ने दावा किया है कि 2022 के टॉप 5 प्रदूषित देश चैड, इराक़, पाकिस्तान, बहरीन और बांग्लादेश थे.
साउथ एशिया और सेंट्रल एशिया में सबसे प्रदूषित आठ शहर मौजूद है. दुनिया के दो सबसे प्रदूषित शहर चीन में होतान शहर और पाकिस्तान में लाहौर शहर हैं. इसके बाद राजस्थान के औद्योगिक शहर भिवाड़ी का नंबर आता है. हालाकि दिल वालो की दिल्ली का स्थान चौथे नंबर पर है. वैसे ये कोई बहुत खुशी की बात नहीं है. दिल्ली में भी 92.6 माइक्रोग्राम्स/क्यूबिक मीटर मौजूद है, जो तय किए मानकों से लगभग 20 गुना ज़्यादा है. भारत की सरकार ने में पार्टिकुलेट मैटर की सघनता को 2026 तक 40 प्रतिशत तक कम करने का दावा किया है.
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