भारत के इस शहर में बनती है सबसे ज्यादा वाइन, दुनियाभर के लोग करते हैं पसंद
भारत के नासिक शहर में सबसे ज्यादा वाइन बनती है. इस शहर को वाइन कैपिटल भी कहा जाता है. क्या आप जानते हैं कि आज पूरी दुनिया में नासिक के वाइन को पसंद किया जाता है.
भारत समेत पूरी दुनिया में अक्सर पार्टियों में आपने लोगों को वाइन पीते हुए देखा होगा. भारत में एक समय था, जब वाइन फ्रांस, इटली समेत दूसरे देशों से मंगवाई जाती थी. लेकिन आज के वक्त भारतीय वाइन को दुनियाभर में पसंद किया जाता है. आज हम भारत के उस शहर के बारे में बताने वाले हैं, जहां पर सबसे ज्यादा वाइन बनती है.
नासिक शहर
भारत के नासिक शहर में बहुत पहले से शराब बनाई जाती रही है. लेकिन इधर बीच नासिक पिछले डेढ़ दशक में भारत की ‘वाइन राजधानी’ के रूप में सामने आया है. बता दें कि नासिक महाराष्ट्र राज्य में स्थित है. इस शहर में पूरे भारत की सबसे ज्यादा वाइन बनती है, जिसे दुनियाभर में भेजा भी जाता है.
भारत में बनने वाली वाइन का एक बड़ा हिस्सा नासिक शहर में तैयार किया जाता है. बता दें कि अकेले इस शहर में 52 वाइनरी हैं, जिसे चलाने के लिए 8000 एकड़ जमीन पर अंगूर की खेती की जाती है. अगर नासिक के आसपास मौजूद सभी तरह के अंगूर की बागवानी की बात करें, तो उसका कुल क्षेत्रफल 18000 एकड़ के करीब है. बता दें कि नासिक में अंगूर की खेती काफी बड़े पैमाने पर होती है, इसलिए वहां मौजूद वाइनरी को वाइन बनाने के लिए आसानी से अंगूर उपलब्ध हो जाते हैं.
नासिक की मिट्टी
नासिक में अंगूरों की बड़े पैमाने पर खेती होती है. यहां की मिट्टी एकदम अलग किस्म की होती है. इसमें रेड लैटराइट पाया जाता है. केवल मिट्टी ही नहीं यहां का पानी का सिस्टम भी काफी अच्छा है. क्योंकि अंगूर की खेती के लिए पानी की काफी जरूरत पड़ती है.
1999 में पहली वाइनरी
सुला वाइनयार्ड्स के सीईओ राजीव सुरेश सामंत ने बताया कि जब वो 1990 के दशक में कैलिफोर्निया से अपने देश भारत लौटे थे, तो उन्होंने तुरंत देश में स्थानीय शराब की कमी को देखा थे. इसके बाद उन्होंने इसे एक अच्छे अवसर के रूप में देखा और 1999 में उन्होंने नासिक की पहली वाइनरी सुला वाइनयार्ड्स खोली थी. कैलिफोर्निया में वाइन का अध्ययन करने के बाद सामंत का लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय मानक की बोतलें बनाना था. हालांकि सामंत का कहना है कि भारत में पिये जाने वाले सभी मादक पेय पदार्थों में वाइन की हिस्सेदारी लगभग दो फीसदी होगी. लेकिन इधर इसका सेवन करने वालों की संख्या बढ़ रही है.
ये भी पढ़ें: कौन थे जापानी आर्किटेक्ट कत्सुहिको ताकाहाशी, जिन्होंने अबू-धाबी शहर को बसाया