क्या आपको भी सफर में आती है उल्टी?... जानिए आपके साथ ये किस वजह से होता है
Motion Sickness: अगर आपको भी गाड़ी में चलते हुए उल्टी आती है तो घबराइए मत! यह किसी तरह की बीमारी नहीं है. सफर मे उल्टी आने को मोशन सिकनेस कहा जाता है. आइए इसके बारे में जानते हैं...
Vomiting: सफर के दौरान बहुत से लोगों को जी मिचलाने और उल्टी की समस्या रहती है. इससे उल्टी करने वाले व्यक्ति सहित सफर में साथ बाकी यात्रियों को भी असुविधा हो जाती है. कई बार तो सिर्फ सफर के दौरान ही नहीं, बल्कि तीन-चार दिनों तक चक्कर, घबराहट, जी मचलने या उल्टी जैसी समस्या रहती है. आपने भी शायद बहुत लोगों को सफर में इस समस्या से जूझते हुए देखा होगा, लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों होता है? क्यों लोगों को सफर के दौरान उल्टी होती है? क्या यह किसी तरह की बीमारी है या फिर यह आम.बात है? आइए जानते हैं ऐसा क्यों होता है...
सफर में क्यों आती है उलटी?
अगर आपको भी गाड़ी में चलते हुए उल्टी आती है तो घबराइए मत! यह किसी तरह की बीमारी नहीं है. सफर मे उल्टी आने को मोशन सिकनेस (Motion Sickness Symptoms) कहा जाता है. मोशन मतलब गति या हलचल और सिकनेस मतलब बीमारी अर्थात हलचल के कारण होने वाली समस्या. यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें हमारे आंख, कान और त्वचा से दिमाग को अलग-अलग सिग्नल मिलते हैं. जिससे हमारा सेंट्रल नर्वस सिस्टम कन्फ्यूज हो जाता है.
आंख और कान का तालमेल है उल्टी की वजह
उल्टी लाने में हमारे पेट का नहीं, बल्कि आंखों और मस्तिष्क का अहम रोल होता है. हमारी आंखों को गाड़ी के अंदर सीट, आसपास वाले यात्री सब अपनी जगह पर स्थिर दिखते हैं. कहने का मतलब है कि बाहर न देखें तो आंखों को दिखता है कि कुछ भी हिल-डुल नहीं रहा है. वहीं, दूसरी ओर कान इस हलचल को भांप लेते हैं. शारीरिक संतुलन बनाने के लिए कान में मौजूद तरल पदार्थ की बड़ी भूमिका रहती है. जैसे ही शरीर के गतिशील स्थिति में आता है तो यह तरल पदार्थ मस्तिष्क को लगातार सिग्नल देता है. वहीं, दूसरी ओर आंखें भी मस्तिष्क को अलग ही सिग्नल भेज रही होती हैं.
इन सब सिग्नलों से दिमाग कंफ्यूज हो जाता है. इस स्थिति में दिमाग इसे गड़बड़ी का संदेश या किसी जहर का दुष्प्रभाव समझता है और शरीर में उपस्थित वोमेटिंग सेंटर (Vomiting Center) को उल्टी करने का आदेश दे देता है. इस तरह तालमेल सही न बैठने पर लोगों को उल्टी हो जाती है.
ये तरीका कर सकता है उल्टी न आने मदद
अगर आपको मोशन सिकनेस की समस्या रहती है तो आप पीछे दुबक कर न बैठें. आप आगे बैठें और मोबाइल-किताब वगैरह में नजर न गड़ा कर बैठें. खिड़की से बाहर की ओर ध्यान रखें और बेहतर होगा आप क्षितिज में वहां देखें जिस जगह आसमान और धरती मिलते दिखते हैं. ऐसा करने से आपकी आंखों को हलचल साफ-साफ दिखाई देगी और संभव है की कान और आंखों में तालमेल बन जाए.
जरूरी बात!
बहुत से लोग खिड़की से बाहर सर निकाल के भी बैठें तब भी उन्हें उल्टी हो जाती है. ऐसे में सवाल बनाता है कि उनके तो आंख-नाक और कान सब एक ही सिग्नल भेज रहे होते हैं तो फिर ये कॉन्फ्लिक्टिंग सिग्नल वाली थ्योरी वहां काम क्यों नहीं करती है?... दरअसल, यह पूरे दावे के साथ नहीं कहा जा सकता कि सफर में उल्टी आने का इकलौता कारण मोशन सिकनेस ही है. यह बस एक थ्योरी है जो इस विषय के लिए सबसे ज्यादा पॉपुलर है, लेकिन इसे परम सत्य नहीं माना जा सकता है. अगर आपको भी सफर में उल्टी आती है तो आप ऊपर बताए तरीके आजमा सकते हैं. शायद आपको राहत महसूस हो.
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