Mps Salary And Allowance: ज्यादा से ज्यादा कितनी सैलरी बढ़ा सकते हैं सांसद, क्या इसे लेकर भी है कोई नियम?
Mps Salary And Allowance: देश में सांसदों की सैलरी में 24 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इनकी सैलरी कब और कितनी बढ़ाई जा सकती है. साथ ही इसको तय कौन करता है.

Mps Salary And Allowance: भारत सरकार ने सांसदों की सैलरी और पेंशन को बढ़ाने की मंजूरी दे दी है. सोमवार को संसदीय कार्य मंत्रालय ने इसकी अधिसूचना जारी की है. ऐसे में 1 अप्रैल 2025 से उनको बढ़ी हुई सैलरी मिलने लगेगी. पहले इन सांसदों का वेतन 1 लाख रुपये महीना था, जो कि अब बढ़कर 1.24 लाख रुपये हो जाएगा. सरकार का कहना है कि जन प्रतिनिधियों के वेतन और पेंशन में बढोतरी का फैसला कॉस्ट ऑफ लिविंग और इंफ्लेशन रेट को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. लेकिन इन सांसदों की सैलरी अधिकतम कितनी बढ़ाई जा सकती है, क्या इसको लेकर भी कोई नियम तय है, चलिए जानें.
क्या है सांसदों की सैलरी बढ़ाने का नियम
सांसदों का वेतन पेंशन अधिनियम 1954 की प्रदत्त शक्तियों के इस्तेमाल से होता है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर सांसदों की सैलरी कौन बढ़ाता है. दरअसल पहले सांसदों की सैलरी तय करने की शक्ति संसद के पास थी, लेकिन साल 2018 में एक संशोधन हुआ, जिसके बाद से अब यह फैसला केंद्र सरकार लेती है. दरअसल मोदी सरकार ने 2018 में हर पांच साल में सांसदों की सैलरी और भत्तों में संशोधन का नियम लागू किया था. इससे सैलरी तय करने के लिए सांसदों द्वारा की जा रही सिफारिशों का नियम खत्म हो गया. अब कोस्ट इन्फेल्शन के आधार पर संसद सदस्यों की सैलरी में 24% की बढ़ोतरी की गई है. अप्रैल 2018 के बाद यह पहला ऐसा संसोधन है, जिसका उद्देश्य सैलरी को मुद्रास्फीति के अनुरूप लाना है.
पहले से अब तक कितनी बढ़ गई नेताओं की सैलरी
साल 1966 की बात करें तो उस दौर में सांसदों को सैलरी के रूप में 500 रुपये महीने मिलते थे. लेकिन जैसे-जैसे वक्त बदला और महंगाई बढ़ती गई तो माननीय सांसद जी के वेतन में भी बढ़ोतरी होती गई. अब पिछले 70 सालों में तो सैलरी काफी ज्यादा बढ़ चुकी है. हफ्ते भर पहले ही कर्नाटक सरकार द्वारा मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधायकों की सैलरी में 100 फीसदी बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई है. हालांकि इसका कभी भी खुलकर विरोध होता नहीं दिखा. लेकिन विदेशों में सांसदों और मंत्रियों की सैलरी बढ़ाए जाने का नियम है.
विदेशों में क्या है जन प्रतिनिधि की सैलरी बढ़ाने का नियम
कनाडा में हर साल जन प्रतिनिधियों की सैलरी कितनी बढ़नी है यह तय रहता है. इसे पिछले साल की महंगाई दर के हिसाब से लागू किया जाता है, न कि वो लोग खुद ही अपना वेतन, पेंशन आदि तय कर लेते हैं. वहीं ब्रिटेन में सांसद, ऑडिटर और पूर्व जज का आयोग जनता की औसत आय के आधार पर जन प्रतिनिधि का वेतन तय करता है. ऑस्ट्रेलिया में सरकार, कानून, लोक प्रशासन और इकोनॉमी मिलकर एक कमेटी का गठन करते हैं. यह कमेटी जन प्रतिनिधि का वेतन तय करती है.
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