मुगलों के हरम में औरतों को उनके नाम से क्यों नहीं बुलाया जाता था? बेहद सख्त थे नियम
Mughal History: मुगल काल में औरतों को लेकर काफी सख्त नियम बनाए गए थे. हरम में रहने वाली औरतों को उनके नाम से भी नहीं बुलाया जाता था. क्यों था ऐसा नियम चलिए बताते हैं.
Mughal Harem History: भारत में मुगलों ने लगभग डेढ़ सौ साल तक राज किया था. सन् 1526 में मुगल साम्राज्य की नींव रखी गई थी. और सन् 1857 में मुगल साम्राज्य का पतन हो गया था. मुगलों का भारत में स्वर्णिम इतिहास रहा है. लेकिन मुगल काल में कुछ चीजें काफी विवादित और रहस्यमई भी रहीं हैं. 15वीं सदी में जब बाबर ने भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना की थी. तो उसने हरम का भी चलन शुरू किया था.
लेकिन बात अगर सिर्फ हरम की जाए तो इसका जिक्र मुगल काल से भी पहले सन् 1299 में मिलता है. मुगल काल में हरम में बहुत सी महिलाएं रहती थी. अकबर के शासन की बात की जाए तो उस समय इसमें करीब 5000 महिलाएं रहती थीं. हरम को लेकर बहुत से कठोर नियम बनाए गए थे. जिनमें एक नियम औरतों के नाम को लेकर भी था. हरम में रहने वाली औरतों को उनके नाम से नहीं बुलाया जाता था. क्यों था ऐसा नियम चलिए बताते हैं.
इस वजह से नहीं लिया जाता था नाम
मुगल काल में जो महिलाएं हरम में रहती थी. उनको लेकर बहुत सी कहानियां लिखी गई हैं. जिनपर अलग-अलग इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं. इतिहासकारों के मुताबिक मुगल काल में हरम में रहने वाली औरतों के नाम को लेकर के भी नियम बनाया गया था. हरम में रहने वाली किसी भी औरत को कोई उसके असली नाम से नहीं बुलाता था. और यह नियम काफी सख्ती से फॉलो किया जाता था.
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दरअसल इसके पीछे वजह यह बताई जाती थी कि हरम में कई देशों से की औरतें रहा करती थीं. मुगल या तो उनको बंदी बनाकर लाए थे. या फिर बादशाह को पसंद आने पर उन औरतों को हरम में लाया गया था. या उन्हें पैसे देकर खरीद लिया गया था. उनकी वास्तविक पहचान जाहिर ना हो पाए. इसीलिए कोई भी हरम की किसी भी औरत का असली नाम लेकर उसे नहीं बुलाता था.
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एक वजह है यह भी थी
हरम में रहने वाली ज्यादातर महिलाएं बादशाहों के भोग विलास को पूरा करती थी. बादशाहों के पास उन महिलाओं से ज्यादा करीब और कोई नहीं जा पता था. ऐसे में अगर किसी महिला के साथ मिलकर किसी ने षड्यंत्र रचा तो बादशाह को नुकसान पहुंचाया जा सकता था. लेकिन अगर किसी को पता ही ना हो हरम में रहने वाली कौन सी महिला बादशाह के पास कब जा रही है. तो ऐसे में षड्यंत्र का खतरा नहीं रहता था. और यह भी कारण था कि महिलाओं को उनके अलग-अलग अप नाम से बुलाया जाता था ना कि उनके असली नाम से.
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