माफिया मुख्तार अंसारी की मौत पर सोशल मीडिया पर कई यूजर लिख रहे हैं कि उसे स्लो पॉइजन दिया गया. मुख्तार के परिजनों ने भी दावा किया कि उसे जेल में स्लो पॉइजन दिया जा रहा था. हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि मुख्तार अंसारी की मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई. चलिए आपको इस आर्टिकल में बताते हैं कि आखिर स्लो पॉइजन होता क्या है और ये कैसे काम करता है.
क्या होता है स्लो पॉइजन
स्लो पॉइजन यानी ऐसा जहर जो धीमें-धीमें इंसान की जान लेता है. दुनियाभर में ऐसे कई जहर हैं जो स्लो पॉइजन का काम करते हैं. इन्हीं में से एक है थैलियम. अगर किसी इंसान को थैलियम दे दिया जाए तो उसकी मौत तुरंत नहीं होती. बल्कि पहले उसकी तबीयत खराब होती है फिर 24 घंटे के भीतर उसकी मौत हो जाती है.
सबसे खतरनाक स्लो पॉइजन
पोलोनियम-210 ये दुनिया का सबसे खतरनाक स्लो पॉइजन है. इसे अगर किसी को दे दिया जाए तो उसकी मौत पक्की है. ये इतना खतरनाक है कि इसका एक ग्राम लाखों लोगों को मौत की नींद सुला सकता है. दरअसल, ये एक रेडियोएक्टिव तत्व है और इससे निकलने वाला रेडिएशन इतना खतरनाक होता है कि इससे सिर्फ शरीर पर ही असर नहीं पड़ता, बल्कि इंसान का पूरा इम्यून सिस्टम तबाह हो जाता है.
कैसे काम करता है स्लो पॉइजन
स्लो पॉइजन दो तरह से काम करते हैं. एक जो इंसान को 24 घंटे में बीमार कर के मौत देता है और दूसरा वो जो मौत देने में कई दिन लगाता है. हालांकि, दोनों ही तरह में इंसान पहले बीमार होता है, उसका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और फिर उसकी मौत होती है.
जैसे अगर किसी ने स्लो पॉइजन के तौर पर थैलियम किसी को दिया है तो व्यक्ति की मौत 24 घंटे के भीतर हो जाएगी. हालांकि, मौत से पहले व्यक्ति की तबीयत खराब होगी.
जबकि, अगर कोई किसी को स्लो पॉइजन के तौर पर आर्सेनिक देता है तो इंसान की मौत 20 दिन से एक महीने के भीतर हो जाती है. हालांकि, आर्सेनिक से व्यक्ति की मौत कितने दिन में होगी ये व्यक्ति को दिए जा रहे आर्सेनिक की क्वांटिटी पर निर्भर करता है.