उत्तर प्रदेश के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) की गुरुवार को कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई. जानकारी के मुताबिक, गुरुवार को सुबह बांदा जेल में मुख्तार की अचानक तबीयत बिगड़ गई, इसके बाद उसे बांदा मेडिकल कॉलेज इलाज के लिए ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. चलिए अब आपको बताते हैं कि उत्तर प्रदेश का बाहुबली मुख्तार अंसारी जो राजपुताना मूंछ रखता था उसका इतिहास क्या है. इसके साथ ही आपको बताएंगे कि भारतीय समाज में मूंछों का इतिहास क्या है.


मुख्तार अंसारी क्यों रखता था राजपुताना मूंछ


मुख्तार अंसारी की कोई भी फोटो आप देखेंगे उसमें आपको उसकी मूंछें ऊपर की ओर उठी हुई मिलेंगी. दरअसल, इस तरह की मूंछों को राजपुताना मूंछ कहा जाता है. अब आते हैं इस सवाल पर कि आखिर मुख्तार अंसारी इस तरह की मूंछ क्यों रखता था. दरअसल, मुख्तार अंसारी के दादा मुख्तार अहमद अंसारी भी इसी तरह की मूछें रखते थे.


आपको बता दें, मुख्तार अहमद अंसारी 1912 से लेकर अपने निधन 1936 तक स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में शामिल थे. 1927 में वे कांग्रेस के अध्यक्ष बने. उनके काल में साइमन कमिशन के खिलाफ पूरे देश में विद्रोह की लहर दौड़ गई थी. वहीं मुख्तार अंसारी के राजपुताना मूंछ रखने की दूसरी वजह अपनी दबंग छवि को दिखाना था. मुख्तार अंसारी एक बाहुबली नेता था और पूर्वांचल में उसका दबदबा था. इंटरनेट पर मौजूद उसके किसी भी वीडियो में आप देख लीजिए वो अपनी मूंछों पर ताव देता मिल जाएगा.


भारतीय समाज में मूंछों का इतिहास


अगर किसी अनजान व्यक्ति के चेहरे पर घनी और ऊपर की ओर उठी मूंछें आप देखते हैं तो सबसे पहले आप के दिमाग में ख्याल आता है कि ये राजपूत समाज का व्यक्ति होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि इस तरह की मूंछें राजपूत समाज सदियों से रखता आया है. हालांकि, ऐसा नहीं है कि भारतीय समाज में मूंछों का इतिहास यहीं से है. आपको बता दें भारतीय समाज में मूंछों का इतिहास हड़प्पा से जुड़ा है. हड़प्पा की खुदाई में निकली कई मूर्तियों में पुरुष मूंछ और दाढ़ी रखे हुए दिखाई देते हैं.


दरअसल, जब मोहनजोदड़ो की खुदाई हुई तो वहां एक छोटी सी मूर्ति मिली. यह किसी पुरुष की थी. मूर्ति में साफ देखा जा सकता है कि इस पुरुष के चेहरे पर घनी दाढ़ी और मूंछे बनी हुई हैं. यानी उस वक्त भी पुरुष दाढ़ी और मूछें रखते थे. यह मूर्ति फिलहाल पाकिस्तान के राष्ट्रीय संग्रहालय, कराची में रखी गई है.


भगवान तो नहीं रखते थे मूंछ


इंसान भले ही सदियों से दाढ़ी मूंछ रखते आए हों, लेकिन जब बात ईश्वर की आती है तो वह पूरी तरह से क्लीन शेव दिखाई देते हैं. आपको किसी भी भगवान की तस्वीर या मूर्ति में दाढ़ी मूंछ नहीं दिखाई देगा. यहां तक कि जब 2023 में रामायण रूपांतरण आदिपुरुष आई तो लोगों ने श्रीराम को मूंछों में देख कर फिल्म के निर्देशक और लेखक बारे में बहुत बुरा भला कहा.


राजपुताना मूंछ का इतिहास


भारत में जब जाति व्यवस्था स्थापित हुई तो ऊंची जातियों ने खासकर जो लड़ाका कौम थी, मूंछों को अपने सम्मान का प्रतीक बना लिया. धीरे-धीरे मूंछों पर ऊंची जातियों का आधिपत्य हो गया. आपको बता दें, ऊंची जातियों में मूंछ राजपुताना स्टाइल की ही रखी जाती रही है. यानी ऊपर की ओर उठी हुई. मूंछ रखने वाले लोग इसे अपनी इज्जत से जोड़ कर देखते थे, इसीलिए इसे हमेशा ऊपर की ओर उठी हुई रखते थे.


मूंछ और मौत


जब ऊंची जातियों ने मूंछें रखना शुरू किया तो निचली जातियों को ऐसा करने से रोक दिया गया. जिसने भी इस बात को नहीं माना उसे मौत मिली. सदियों बाद आज भी कई बार समाज में ऐसी घटनाएं देखने को मिल जाती हैं जब छोटी जातियों को मूंछ रखने पर प्रताड़ित किया जाता है या उनकी हत्या कर दी जाती है. मार्च 2022 की ही एक घटना है जब संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी जितेंद्र मेघवाल की चाकू मारकर इसलिए हत्या कर दी गई क्योंकि 28 वर्षीय दलित व्यक्ति मूंछें रखता था. हालांकि, अब हर तबके के लोग मूंछें और दाढ़ी रख रहे हैं. फिलहाल ये फैशन ट्रेंड है. लेकिन ये सच है कि एक दौर में मूंछें समाज में आपकी हैसियत बताने का काम करती थीं.


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