प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते बुधवार से 2 दिन की सिंगापुर यात्रा पर हैं. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 6 साल बाद सिंगापुर के दौर पर गए हैं. इससे पहले उन्होंने नवंबर 2018 में सिंगापुर का दौरा किया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिंगापुर में बीते कुछ सालों में मुसलमानों की आबादी घटी है और हिंदुओं की आबादी बढ़ी हुई है. जी हां, आप आज हम आपको बताएंगे कि सिंगापुर में मुसलमानों की आबादी कितनी कम हुई है. 


पीएम मोदी का सिंगापुर दौरा


पीएम नरेंद्र मोदी सिंगापुर के दो दिवसीय यात्रा पर गए हैं. जहां उन्होंने गुरुवार को सिंगापुर के टॉप कंपनियों के सीईओ से मुलाकात की है. इस दौरान पीएम मोदी ने सिंगापुर के बिजनेस लीडर्स को भारत में और अपने संसदीय क्षेत्र बनारस (काशी) में निवेश करने की अपील की है. पीएम मोदी ने ये भी कहा कि भारत के पास टैलेंट हैं. दुनिया को इसका फायदा लेना चाहिए. पीएम मोदी ने अपनी सरकार की उपलब्धियां भी गिनाई है.


हिंदूओं की आबादी


2020 की जनगणना के मुताबिक सिंगापुर में 1,72,963 हिंदू आबादी रह रही थी, जो सिंगापुर की कुल आबादी का 5 फीसदी हैं. खास बात यह है कि सिंगापुर की 99 फीसदी हिंदू आबादी मूल रूप से वहीं की है, जो कभी भारत से जाकर बसी थी. बता दें कि 1980 में यह हिंदू आबादी कुल का महज 3.6 फीसदी थी, जो अब बढ़कर 5 फीसदी हो चुकी है. वहीं मुस्लिम आबादी में गिरावट आई है. 


मुस्लिम आबादी


बता दें कि सिंगापुर में मुस्लिमों की आबादी कम हो रही है. आंकड़ों के मुताबिक 1980 में सिंगापुर में मुसलमानों की आबादी 16.2 फीसदी थी. वहीं 2020 में मुसलमानों की आबादी घटकर 15.6 फीसदी हो गई है.  


सिंगापुर में धार्मिक विविधता


बता दें कि प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक सिंगापुर की धार्मिक विविधता पूरी दुनिया में मशहूर है. भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे देशों की तुलना में यहां धार्मिक विविधता के बाद भी दुश्मनी दिखने को नहीं मिलती है. वहीं सिंगापुर में हर पांचवां व्यक्ति ऐसा है, जो किसी धर्म को नहीं मानता है. 2014 की प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट ने सिंगापुर को दुनिया में सबसे अधिक धार्मिक रूप से विविध देश का दर्जा दिया है. यही वजह है कि यहां का हिंदू अल्पसंख्यक कभी पलायन नहीं करता है. इसके अलावा सिंगापुर में 70 के दशक में टू चाइल्ड पॉलिसी अपनाई गई थी, जिससे वहां की आबादी नियंत्रित है.


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