जिस तरह से पृथ्वी पर जीवन है उसी तरह से इस ब्रह्मांड में कई और भी ऐसे प्लैनेट होंगे जिन पर जीवन होगा. हालांकि, अब तक वैज्ञानिकों को ऐसे प्लैनेट नहीं मिले हैं जिनपर जीवन होने के सुबूत मिले हों. लेकिन एलियन की थ्योरी इंसानों के बीच हमेशा से रही है. कई बार दुनिया के अलग अलग हिस्सों में यूएफओ देखे जाने की बात सामने आई है. कुछ लोगों का मानना है कि दूसरी दुनिया के लोग पृथ्वी पर जांच करने आते हैं और वो कोशिश कर रहे हैं कि कैसे वह पृथ्वी को अपना घर बना सकें. पेरू के रेगिस्तान में मिली रहस्यमयी आकृतियों को जब आप देखेंगे तो आपको भी यही महसूस होगा.
कहां है ये रहस्यमयी आकृति?
रेगिस्तान के बीचों बीच बनीं ये रहस्यमयी आकृतियां अमेरिका के पेरू में हैं. ये आकृतियां आज की नहीं बल्कि 2000 साल पहले से बनी हैं और इनका रहस्य आज भी कोई नहीं सुलझा पाया है. सबसे बड़ी की ये आकृतियां इतनी बड़ी हैं कि इन्हें आज से 2000 साल पहले इंसानों द्वारा बनाया ही नहीं जा सकता था. बहुत सारे लोग मानते हैं कि ये कारनामा एलियन का है और उन्होंने एक संदेश के रूप में इन अजीबो गरीब आकृतियों को रेगिस्तान के बीचों बीच बनाया है.
किस चीज की आकृतियां बनी हैं?
पेरू के नजका रेगिस्तान में जो आकृतियां उभरी हैं उनमें से कुछ इंसानों जैसी लगती हैं, जबकि एक आकृति बिल्ली की और एक आकृति मकड़ी जैसी लगती है. सबसे बड़ी बात की ये आकृतियां लगभग 121 फीट है. यानी ये इतनी बड़ी हैं कि इन्हें आप स्पेस से भी देख सकते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि एलियन इन्हीं आकृतियों को देख कर अपना यूएफओ यहीं उतारते थे. हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये पेरू की प्राचीन सिंचाई व्यवस्था का हिस्सा है. लेकिन अब तक कोई भी थ्योरी प्रूफ नहीं हुई है.
कब हुई थी इनकी खोज
ये आकृतियां आज से करीब 83 साल पहले इंसानों द्वारा खोजी गई थीं. जब इन्हें जमीन से देखा गया तो किसी को समझ नहीं आया कि ये किस चीज की आकृतियां हैं. हालांकि, जब स्पेस से इनकी तस्वीरों ली गईं तब पता चला कि ये इंसानों और जानवरों की आकृतियां हैं. आपको बता दें नजका रेगिस्तान पृथ्वी के कुछ सबसे बियाबान जगहों में से एक है. इन आकृतियों को लेकर स्विट्जरलैंड के मशहूर लेखक एरिच वॉन दानिकेन अपनी किताब 'चैरियट्स ऑफ द गॉड्स' में लिखते हैं कि बिना किसी संदेह के यह कहा जा सकता है कि पेरू के पहाड़ों के किनारे बने विशाल चित्र हवा में खास तरह के संदेश भेजने के लिए बनाए गए थे.
ये भी पढ़ें: जानिए कितना महंगा था टाइटैनिक जहाज में बैठने का टिकट? फर्स्ट क्लास वालों की मिलती थी ये सुविधाएं