ईरान का वो राजा जिसने ना सिर्फ दिल्ली को लूटा...बल्कि कोहिनूर भी ले गया
नादिरशाह को मिलने से पहले इस हीरे को क्या कहा जाता था वो स्पष्ट नहीं है, लेकिन नादिर शाह ने जब इसे देखा तब उसी के मुंह से पहली बार कोहिनूर शब्द निकला. यानी रौशनी का पहाड़.
ईरान और इजरायल अंब एक बड़ी जंग के मुहाने पर खड़े हैं. ईरान के हमले ने इजरायल समेत पूरे पश्चिमी देशों के एक जुट कर दिया है. लेकिन आज कि इस स्टोरी में हम ईरान के हमले की बात नहीं करेंगे, बल्कि हम बात करेंगे ईरान के उस राजा के बारे में जिसने भारत पर हमला किया और कई दिनों तक लूटपाट मचाई. यहां तक कि कोहिनूर भी छीन कर ले गया.
कौन था वो राजा
हम जिस राजा की बात कर रहे हैं, उसका नाम था नादिर शाह. माइकल एक्सॉर्डी ने अपनी किताबों 'ईरान: एम्पायर ऑफ़ दि माइंड' और 'दि स्वॉर्ड ऑफ़ पर्शिया' में लिखा कि नादिर शाह की जन्मतिथि और शुरुआती जीवन का विवरण बहुत स्पष्ट नहीं है और उन पर अभी और शोध करने की ज़रूरत है.
लेकिन एक्सॉर्डी के अनुसार, नादिर शाह का जन्म 6 अगस्त 1698 को दर्रा गाज के क्षेत्र में अल्लाहु अकबर पर्वत पर दस्तगर्द नाम के एक गांव में हुआ था. यह जगह ईरानी साम्राज्य के पूर्वी प्रांत ख़ुरासान के उत्तरी भाग में है. उस वक्त इसे ईरान के सबसे खतरनाक इलाकों में गिना जाता था. नादिर शाह का पिता तुर्कमान के अफशर कबीले में एक चरवाहा था. हालांकि, अपने समाज में उसकी इज्जत थी और वो शायद अपने गांव का मुखिया भी था.
भारत को लूटने की कहानी
ये उस दौर की बात है जब भारत पर मुगलों की हुकूमत थी. दिल्ली पर मुगल बादशाह मुहम्मदशाह का राज था. नादिर शाह को भारत की दौलत पहले से आकृषित करती आ रही थी, यही वजह है कि 1739 में नादिर शाह ने दिल्ली पर हमला बोल दिया. इन दोनों राजाओं के बीच करनाल का भीषण युद्ध हुआ. नादिर शाह ने पूरी मुगल सेना को धूल चटा दिया और काबुल पर कब्जा कर लिया. उसने इस जीत के बाद खूब लूटमार की. यहां तक कि दिल्ली को कई दिनों तर लूटता रहा. ईरान वापिस जाते वक्त वो अपने साथ 1,000 हाथी, 7,000 घोड़े, 10,000 ऊंट, 130 लेखक, 200 संगतराश, 100 राज और 200 बढ़ई के अलावा और भी कई चीजें ले गया.
कोहिनूर का दिलचस्प किस्सा
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इतिहासकार थियो मेटकाफ़ लिखते हैं कि नादिर शाह जब युद्ध रोकने के बाद मोहम्मद शाह से मिलने पहुंचा तो उसे दरबार की एक नर्तकी ने मुखबरी में बता दिया कि मोहम्मद शाह ने सबसे बेशकीमती हीरा अपनी पगड़ी में छिपा रखा है. नादिर शाह जब मोहम्मद शाह से मिले तो उन्होंने कहा कि आइए हम अपनी नई दोस्ती के खातिर अपनी पगड़ियां बदल लेते हैं. इसी तरह से कोहिनूर नादिरशाह के हाथ लगा.
नादिरशाह को मिलने से पहले इस हीरे को क्या कहा जाता था वो स्पष्ट नहीं है, लेकिन नादिर शाह ने जब इसे देखा तब उसी के मुंह से पहली बार कोहिनूर शब्द निकला. यानी रौशनी का पहाड़.
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