नैमिषारण्य तीर्थ स्थल का है खास धार्मिक महत्व, जानिए इससे जुड़ी दिलचस्प पौराणिक घटना के बारे में
Significance Of Naimisharanya: महर्षि दधीचि ने समाज के कल्याण के लिए अपने प्राणों की आहुति देकर यहीं पर देवराज इंद्र को अपनी अस्थियां दान दी थीं.उनकी अस्थियों से ही इंद्र का ताकतवर हथियार बज्र बना था.
Naimisharanya: हमारे देश में अनेक तीर्थस्थल हैं जिनका अपना खास धार्मिक महत्व है. इनमें कई महत्वपूर्ण तीर्थस्थल उत्तर प्रदेश में स्थित हैं. इन तीर्थस्थलों से जो घटनाएं और पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं वो बहुत दिलचस्प हैं.उत्तर प्रदेश में स्थित ऐसी ही एक खास जगह है नैमिषारण्य. अपने इस आर्टिकल के जरिए हम इस जगह की खासियत और इसके धार्मिक महत्व के बारे में आपको बताएंगे-
महर्षि दधीचि और इंद्र की कथा-
कहा जाता है कि यहां पर महर्षि दधीचि ने समाज के कल्याण के लिए अपने प्राणों की आहुति देकर देवराज इंद्र को अपनी अस्थियां दान दी थीं.उनकी अस्थियों से ही इंद्र का ताकतवर हथियार बज्र बना था.जिससे इंद्र ने दैत्यों का वध किया था.
कलयुग के प्रभाव से अछूता-
एक मान्यता यह भी है कि महाभारत के युद्ध के बाद कलयुग का आरंभ हुआ था. जिसको लेकर साधु-संतों में चिंता का भाव था. ऐसे में ब्रह्माजी के द्वारा चक्र छोड़कर धरती पर ऐसी जगह ढूंढी गई जहां पर कलियुग का प्रभाव ना हो. इसलिए कहा जाता है कि नैमिषारण्य कलयुग के प्रभाव से अछूता है. इसलिए साधु-संत यहां आकर तप और साधना करने लगे.
भगवान राम से भी जुड़ी है कथा-
पौराणिक कथा के अनुसार नैमिषारण्य में ही भगवान राम ने अपना अश्वमेध यज्ञ पूरा किया था. रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि से उनकी मुलाकात का स्थान भी नैमिषारण्य को ही बताया गया है. इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि अपने पुत्रों लव और कुश से भगवान राम की मुलाकात इसी पवित्र स्थान पर हुई थी.
उत्तर प्रदेश के इस जिले में है स्थित-
नैमिषारण्य वर्तमान में उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में स्थित है और एक मशहूर तीर्थ स्थल है.इस तीर्थ स्थल पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचते हैं.इसे नैमिषारण्य के अलावा नैमिष या नीमसार के नाम से भी जाना जाता है.
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