अक्सर जब हम आंख बंद करते हैं तो हमें अंधेरा दिखाई देता है और हम इसे काला रंग समझ लेते हैं.लेकिन ऐसा नहीं है.आंख बंद करने पर हमें जो कलर दिखाई देता है वो दरअसल काला नहीं होता है. अब आप सोचेंगे कि अगर यह रंग काला नहीं है तो फिर कौनसा है. हम आपको आज बताएंगे कि आंख बंद करने पर जो कलर नजर आता है वो कौनसा होता है.
दरअसल आंख बंद करने पर हमें जो रंग दिखाई देता है उसे फॉस्फीन कहा जाता है. फॉस्फीन कलर हमें तब दिखाई देता है जब हम अचानक रोशनी से अंधेरे में आकर अपनी आंख बंद कर लेते हैं. यह एक तरह का ऑप्टिकल भ्रम है जो तब होता है जब रेटिना में रोशनी के प्रति संवेदनशील कोशिकाओं को उत्तेजित किया जाता है.
फॉस्फीन के और भी हो सकते हैं कारण
अत्यधिक अंधेरे में जब हम होते हैं तो रेटिना में मौजूद कोशिकाएं प्रकाश के प्रति कम उत्तेजित होती हैं जिससे हमें फॉस्फीन दिखाई दे सकता है
ज्यादा रोशनी
ज्यादा रोशनी में जाने के कारण हमारी रेटिना में मौजूद प्रकाश के प्रति संवेदनशील कोशिकाएं ज्यादा उत्तेजित हो जाती हैं जिसके कारण भी हमें फॉस्फीन दिखाई देता है.
सिर में चोंट लगने से
सिर में चोंट लगने के कारण भी हमारी रेटिना की कोशिकाएं प्रभावित हो सकती है और हमें फॉस्फीन दिखाई दे सकता है
माइग्रेन की दवाएं.
माइग्रेन के कारण दर्द में ली जाने वाली दवाएं भी फॉस्फीन की उपस्थिति की कारण बन सकती है.
आंख बंद करने पर अलग अलग लोगों को फॉस्फीन अलग अलग तरह का दिखाई दे सकता है,कुछ लोगों को काले कलर का फॉस्फीन दिखाई दे सकता है तो वहीं कुछ लोगों को अन्य कलर में फॉस्फीन दिखाई देता है. फॉस्फीन का असर आमतौर पर कुछ ही सेकेंड्स का होता है उसके बाद यह खुद ब खुद दूर हो जाते हैं. अगर आपको ज्यादा फॉस्फीन दिखाई दे रहे हैं और परेशान कर रहे हैं तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
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