क्या चांद पर इंसान भेजने के मिशन में नासा ने लिया था हिटलर के खास वैज्ञानिक का सहारा?
हम जिस वैज्ञानिक की बात कर रहे हैं उसका नाम वर्नर वॉन ब्रॉन था. इस इंसान का जन्म जर्मनी के संपन्न परिवार में हुआ, लेकिन स्पेस के प्रति इसकी दीवानगी ने इसे इस क्षेत्र का मास्टरमाइंड बना दिया.
अमेरिका आज दुनिया में सुपरपावर का दर्जा रखता है. इस देश के सुपर पावर बनने के पीछे कई लोगों का सहयोग रहा है. इनमें कुछ अमेरिकी रहे हैं तो कुछ दूसरे देशों के नागरिक, जो बाद में अमेरिकी हो गए. अंतरिक्ष में अमेरिका की सफलता के पीछे भी एक दूसरे देश के ही वैज्ञानिक का हाथ है. खासतौर से एक ऐसे देश के वैज्ञानिक का जो कभी अमेरिका का कट्टर दुश्मन हुआ करता था. दरअसल, हम बात कर रहे हैं जर्मनी की. चलिए आपको बताते हैं कि कैसे एक नाजी ने अमेरिका को चांद की सतह तक पहुंचा दिया.
क्या हिटलर की मदद से हुआ ये?
सीधे तौर पर कहें तो नहीं. हां, ये जरूर है कि जिस वैज्ञानिक ने अमेरिका को चांद की सतह पर इंसानों के साथ पहुंचाया वो कभी हिटलर का बहुत खास हुआ करता था. खास तो छोड़िए इस वैज्ञानिक को कभी पूरी दुनिया एक कट्टर नाजी सैनिक के रूप में पहचानती थी. हालांकि, बाद में यही वैज्ञानिक अमेरिका जाता है और अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा को बुलंदियों तक पहुंचाता है. इसके बदले अमेरिका ना सिर्फ इस वैज्ञानिक को पैसा और पावर देती है, बल्कि उसे अमेरिका की नागरिकता भी दे देती है.
कौन था ये वैज्ञानिक
हम जिस वैज्ञानिक की बात कर रहे हैं उसका नाम वर्नर वॉन ब्रॉन था. इस इंसान का जन्म जर्मनी के संपन्न परिवार में हुआ, लेकिन स्पेस के प्रति इसकी दीवानगी ने इसे इस क्षेत्र का मास्टरमाइंड बना दिया. ये सबकुछ शुरू होता है जब वर्नर वॉन ब्रॉन की उम्र मात्र 13 वर्ष की थी. उनकी मां उन्हें उनके जन्मदिन पर एक दूरबीन देती हैं, इस दूरबीन ने वर्नर वॉन ब्रॉन के भीतर आसमान को देख कर पल रहे सपनों को पंख दे दिया.
बाद में उन्होंने अपने सपनों को उड़ान देने के लिए 17 साल की उम्र में बर्लिन स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन ले लिया. मात्र 18 साल की उम्र में तरल-ईंधन वाले रॉकेट निर्माण को अपने जीवन का सबसे मुख्य उद्देश्य बनाते हुए जर्मन रॉकेट सोसाइटी- वीएफआर (वेरीन फुर रॉमशिफाह्रट) में दाखिला ले लिया. यहां से उनकी नज़दीकी हिटलर से बढ़ने लगी और फिर वो हिटलर के कुछ सबसे चहेते लोगों में से एक हो गए.
अमेरिका कैसे पहुंचे और नासा का सफर कैसे किया
1945 के बाद जब द्वितीय विश्व यु्द्ध अपनी अंतिम अवस्था में था और जर्मनी हर मोर्चे पर हार का सामना कर रही थी, तब अमेरिका ने प्लान बनाया कि वह हिटलर के जितने भी बेस्ट ब्रेन हैं, उन्हें अमेरिका में शरण देगी. इसके लिए उसने एक ऑपरेशन चलाया 'ऑपरेशन पेपरक्लिप' इसी के जरिए अमेरिका ने वर्नर वॉन ब्रॉन और उनके साथ भारी संख्या में अन्य जर्मन वैज्ञानिकों को अमेरिका बुला लिया.
इसके बाद इसी टीम ने अमेरिका के लिए 16 अप्रेल 1946 को प्रथम वी-2 लॉन्च किया और अमेरिका के स्पेस मिशन को बुलंदियों तक पहुंचा दिया. इसके बाद जब 1955 में अमेरिका ने नासा की स्थापना की तो वर्नर वॉन ब्रॉन को यहां भेज दिया और फि 1969 में जो हुआ वो दुनिया के लिए मिसाल बन गया. दरअसल, इसी साल 20 जुलाई को नील आर्मस्ट्रांग चांद की सतह पर पहुंचे थे.
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