National Education Day 2022: अशिक्षा अपराध और अंधविश्वास को बढ़ाती है. दुनियाभर की जनसंख्या का लगभग 18 फीसदी हिस्सा अकेले भारत में निवास करता है. ऐसे में यहां लोगों का शिक्षित होना बहुत जरूरी हैं. ऐसे में एक सवाल यह भी बनता है कि यहां कितने लोग शिक्षित हैं? साक्षरता किसी भी व्यक्ति की पढ़ने, लिखने और समाज में खुद को व्यक्त करने की एक बुनियादी क्षमता होती है. इससे न केवल किसी भी देश के विकास में मदद होती है, बल्कि यह उस देश के आर्थिक विकास को भी प्रभावित करती है. राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के मौके पर आइए जानते हैं कि अपने देश में कितने लोग पढ़े लिखे हैं.
क्यों मनाया जाता है शिक्षा दिवस?
भारत में हर साल 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के तौर पर मनाया जाता है. देश के महान स्वतंत्रता सेनानी, विद्वान और प्रख्यात शिक्षाविद् अबुल कलाम आजाद की जयंती को भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के तौर पर मनाया जाता है. राष्ट्र निर्माण और देश के विकास में अच्छी शिक्षा की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका होती है, आजादी के बाद से ही आजाद यह अच्छी तरह जानते थे. देश में आधुनिक शिक्षा पद्धति लाने के लिए उन्होंने कई बड़े कदम उठाए. आज राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के दिन शिक्षा के क्षेत्र में उनके दिए गए योगदान को ही याद किया जाता है.
भारत में पढ़े लिखे लोग
हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं, जहां टेक्नोलॉजी को हर सेकंड अपडेट किया जा रहा है. इसके बावजूद भी हमारे देश की आबादी धीरे-धीरे लेकिन निरंतर एक शिक्षित समाज बनने की ओर अग्रसर है. आजादी के समय देश की सिर्फ 18 प्रतिशत आबादी ही पढ़ी लिखी थी. भारतीय राष्ट्रीय सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट की मानें तो साल 2011 तक भारत की साक्षरता दर 73% थी. उसके 10 सालों में यह लगभग 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 2022 में 77.7% दर्ज की गई है.
शिक्षा के स्तर में बढ़ोत्तरी
2021 की रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, आज देश में साक्षरता 77.7 परसेंट हो गई है. आज देश के 84.7 परसेंट पुरुष तो 70.3 महिलाएं शिक्षित हैं. देश में स्कूलों और हायर स्टडीज संस्थानों की संख्या से पता चलता है की देश में शिक्षा पर कितना काम हुआ है.
स्कूलिंग का क्षेत्र
आजादी के समय देश में केवल डेढ़ लाख स्कूल थे, आज यह संख्या बढ़कर पंद्रह लाख से ज्यादा हो गई है. इन स्कूलों में देश के लगभग 24 करोड़ शिक्षार्थी पढ़ते हैं. सरकार और निजी क्षेत्र ने स्कूली शिक्षा में भी बहुत निवेश किया है. हालांकि, इन दिनों कई कारणों से सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की स्थिति बहुत बेहतर नहीं है. इसीलिए हर व्यक्ति अपने सामर्थ्य से हिसाब से अपने बच्चों की स्कूलिंग पब्लिक या निजी स्कूलों से कराना चाहता है.
हायर एजुकेशन के क्षेत्र में
उच्च शिक्षा हर क्षेत्र में रिसर्च और डेवलपमेंट के रास्ते खोल देती है. सरकारों को पता था कि हायर एजुकेशन पर फोकस किए बिना ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ा जा सकता. इसीलिए इस क्षेत्र पर भी बहुत काम हुआ है. आजादी के समय देश में लगभग 20 यूनिवर्सिटीज और 404 कॉलेज थे. देश में आज के समय में 1043 यूनिवर्सिटीज और लगभग 42303 डिग्री कॉलेज बन चुके हैं. देश में 1948 में महज 30 मेडिकल कॉलेज थे, जबकि आज यह संख्या बढ़कर 541 हो गई है. आजादी के दौरान देश में कुल 36 इंजीनियरिंग कॉलेज थे, इसमें हर साल सिर्फ 2500 छात्र ही पढ़ पाते थे. आज देश में 2500 इंजीनियरिंग कॉलेज स्थित हैं, वहीं, लगभग 1400 पॉली टेक्निकल, 200 आर्किटेक्टर और प्लानिंग कॉलेज हैं. यानी कुल मिलाकर इस समय देश में लगभग 4100 इंजीनियरिंग कॉलेज और यूनिवर्सिटीज हैं. हालांकि, गिनती के हिसाब से इनमें निजी कॉलेजों की संख्या ज्यादा है. आज देश में 20 IIMs, AIIMS और 23 IITs हैं.
आंध्र प्रदेश में सबसे कम पढ़े लिखे लोग
पिछले साल राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने भारत में शिक्षित लोगों के आंकड़े पेश किए थे. इन आंकड़ों के अनुसार, भारत के 28 राज्यों में केरल में सबसे ज्यादा (96.2%) लोग पढ़े लिखे हैं. आंध्रप्रदेश में सबसे कम (66.4%) पढ़े लिखे लोग रहते हैं. वहीं केंद्र शासित प्रदेशों की बात करें तो लगभग 91.8% साक्षरता दर के साथ लक्षद्वीप इस दौड़ में सबसे आगे है, जबकि 68.7% साक्षरता दर के साथ जम्मू और कश्मीर सबसे कम पढ़ा लिखा केंद्र शासित प्रदेश है. वहीं, बात अगर देश की राजधानी दिल्ली की करें तो यहां 86.2% लोग एजुकेटेड हैं.
क्यों पढ़े लिखे लोग हैं कम
आज के समय में भारत के ग्रामीण इलाकों में रहने वाली कुल आबादी में से लगभग 73.5 प्रतिशत जबकि शहरी इलाकों की 87.7 प्रतिशत आबादी शिक्षित है. राष्ट्रीय स्तर पर देखा जाए तो पुरुषों की साक्षरता दर 84.7 और महिलाओं की साक्षरता दर 70.3 प्रतिशत है. साक्षरता दर के कम होने की एक वजह तेजी से बढ़ रही जनसंख्या, गरीबी और खराब स्वास्थ्य स्थिति है.
भारत के 10 सबसे ज्यादा शिक्षित आबादी वाले राज्य
- केरल(96.2%)
- मिजोरम(91.58%)
- दिल्ली(88.7%)
- त्रिपुरा(87.75%)
- उत्तराखंड(87.6%)
- गोवा(87.4%)
- हिमाचल प्रदेश(86.6%)
- असम(85.9%)
- महाराष्ट्र(84.8%)
- पंजाब(83.7%)
भारत के सबसे कम पढ़ी लिखी आबादी वाले राज्य
- आंध्र प्रदेश(66.4%)
- राजस्थान(69.7%)
- बिहार(70.9%)
- तेलंगाना(72.8%)
- उत्तर प्रदेश(73.0%)
- मध्य प्रदेश(73.7%)
- झारखंड(74.3%)
- कर्नाटक(77.2%)
- छत्तीसगढ़(77.3%)
नोट- यह आंकड़े 2021 में आए राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) से लिए गए हैं.
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