दुनियाभर में फुटबॉल का क्रेज किसी से छिपा नहीं है. दुनिया के अधिकांश देशों में लोग फुटबॉल खेलते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि फुलबॉल मैच जिस बॉल से खेला जाता है, वो कहां पर बनता है? आज हम आपको बताएंगे कि दुनियाभर में जितने भी फुटबॉल मैच होते हैं, वो कहां पर होता है. 


नेशनल फुटबॉल डे


हर साल 19 जुलाई के दिन नेशनल फुटबॉल डे मनाया जाता है. बता दें कि फुटबॉल पूरी दुनिया में एक लोकप्रिय खेल है. अधिकांश देशों में फुटबॉल खेला जाता है. लेकिन बहुत कम लोग ये बात जानते हैं कि दुनियाभर में जितने भी फुटबॉल मैच होते हैं, उसमें अधिकांश इस्तेमाल होने वाले बॉल पाकिस्तान में बनते हैं. 


पाकिस्तान में बनते हैं फुटबॉल


पाकिस्तान के पूर्वोत्तर में कश्मीरी सीमा से सटे शहर सियालकोट में सबसे ज्यादा फुटबॉल बनता है. जानकारी के मुताबिक पूरी दुनिया की दो-तिहाई से ज्यादा फुटबॉल इसी शहर के कारखानों में बनाई जाती हैं. इतना ही नहीं इसमें कतर 2022 फीफा विश्व कप की आधिकारिक गेंद एडिडास अल रिहला भी शामिल है. कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सियालकोट में लगभग 60 हजार लोग फुटबॉल बनाने का काम करते हैं. ये संख्या शहर की आबादी का लगभग 8 फीसदी है.


हाथ से बनती है फुटबॉल


बता दें कि पाकिस्तान के सियालकोट में बनी 80 प्रतिशत से ज्यादा गेंद हाथ से सिलाई करके बनाई जाती है. माना जाता है कि हाथ से सिलाई करके बनाने के कारण गेंद ज्यादा टिकाऊ तो बनती है, इसके साथ ही ये एयरोडायनेमिक्स के उन नियमों को भी पूरा करती है, जिसे विज्ञान कहा जाता है. सिलाई वाली गेंदें ज्यादा स्थिर होती है. हैंडमेड बॉल्स में मशीनों से सिली जाने वाली गेंदों की तुलना में अधिक तनाव होता है.


सस्ते फुटबॉल के लिए चाइनीज आइटम 


जानकारी के मुताबिक सॉकर बॉल के लिए सिंथेटिक चमड़े का इस्तेमाल होता है. जिसके लिए जरूरी सामान यानी कपास, पॉलिएस्टर और पॉलीयुरेथेन अलग-अलग देशों से आता है. वहीं सस्ती गेंदों के लिए चीनी सामग्री का उपयोग किया जाता है, जबकि दक्षिण कोरियाई सामग्री का उपयोग उच्च गुणवत्ता वाली गेंदों के लिए किया जाता है. जर्मन बुंडेसलिगा या अन्य यूरोपीय लीग के लिए की फुटबॉल तैयार करने के लिए जापानी सामान इस्तेमाल होता है.


कैसे होता है क्वालिटी टेस्ट


बता दें कि हर पारंपरिक गेंद 20 हेक्सागोन और 12 पेंटागन से बनी होती है, ये 690 टांके से जुड़ती है. हालांकि अब बदलते वक्त और फुटबॉल की बढ़ती डिमांड के साथ अब गेदों को गर्म गोंद से जोड़ा जाता है. इस प्रक्रिया को थर्मो बॉन्डिंग कहते हैं. हालांकि सिली हुई गेंद की तरह इसकी मरम्मत नहीं की जा सकती है. फुटबॉल तैयार होने के बाद उसे जमीन पर, मैदान पर पटककर देखा जाता है. गेंद की उछाल, उड़ान गति से इसकी सही गोलाई सुनिश्चित की जाती है. वहीं फुटबॉल की कीमत उसकी गुणवत्ता के मुताबिक तय की जाती है. 


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