आज के डिजिटल युग में जहां सूचनाएं हमारे फोन की स्क्रीन पर एक क्लिक की दूरी पर हैं, वहां पोस्टकार्ड जैसे पारंपरिक संचार माध्यम धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे हैं, लेकिन कभी एक समय था जब पोस्टकार्ड दुनिया भर में खबरें फैलाने का एक जाना माना माध्यम था. 50 पैसे में आप दुनिया के किसी भी कोने से खबरें अपने घर तक मंगवा सकते थे. चलिए आज हम राष्ट्रीय पोस्टकार्ड दिवस के मौके पर इसी इतिहास को जानते हैं.


कब हुआ था पोस्टकार्ड का अविष्कार?


19वीं सदी के अंत में पोस्टकार्ड का आविष्कार हुआ था. उस समय पोस्टकार्ड को एक क्रांतिकारी आविष्कार माना जाता था. यह सस्ता, हल्का और आसानी से भेजा जा सकता था. यात्री अपने यात्रा के अनुभवों को पोस्टकार्ड के माध्यम से अपने प्रियजनों के साथ साझा करते थे. कलाकार अपने चित्रों को पोस्टकार्ड के रूप में छापकर बेचते थे. पोस्टकार्ड एक सामाजिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का माध्यम बन गया था.


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धीरे-धीरे कब खत्म हो गए पोस्टकार्ड?


20वीं सदी के अंत में टेलीफोन और इंटरनेट के आगमन के साथ पोस्टकार्ड का स्वर्णिम युग खत्म हो गया. ईमेल, सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल संचार माध्यमों ने पोस्टकार्ड को पीछे छोड़ दिया. आजकल लोग एक-दूसरे को मैसेज भेजने के लिए स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं.


हालांकि, पोस्टकार्ड पूरी तरह से खत्म नहीं हुए हैं. आज भी कई लोग पोस्टकार्ड भेजना पसंद करते हैं. खासकर युवा पीढ़ी के बीच पोस्टकार्ड को एक अनूठे और व्यक्तिगत तरीके से बातचीत करने का माध्यम के रूप में देखा जाता है. कई ऑनलाइन स्टोर और स्थानीय दुकानें अलग-अलग तरह के पोस्टकार्ड बेचती हैं.


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क्या हैं पोस्टकार्ड के फायदे?


पोस्टकार्ड एक व्यक्तिगत संदेश भेजने का एक शानदार तरीका है. साथ ही पोस्टकार्ड एक यादगार गिफ्ट हो सकता है. इसके अलावा कुछ पोस्टकार्ड को संभालकर रखा जा सकता है और वक्त के साथ उनकी कीमत बढ़ जाती है.


भविष्य में पोस्टकार्ड का क्या होगा?


भविष्य में पोस्टकार्ड का क्या होगा, यह कहना मुश्किल है. हालांकि यह निश्चित है कि पोस्टकार्ड कभी पूरी तरह से खत्म नहीं होंगे. वे हमेशा उन लोगों के लिए एक विकल्प बने रहेंगे जो एक व्यक्तिगत और यादगार तरीके से संवाद करना चाहते हैं.           


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