भारत समेत दुनियाभर के कई देशों में टैटू का क्रेज बीते 1 दशक में तेजी से बढ़ा है. महिलाओं और पुरुष दोनों वर्ग के लोग टैटू बनवाना पसंद करते हैं. हालांकि बीते कुछ सालों में परमानेंट टैटू बनवाने का क्रेज ज्यादा बढ़ा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर टैटू बनवाने के दौरान कितनी बार चुई को चुभाया जाता है और इसको बाद में कैसे हटाया जा सकता है. 


टैटू


दुनियाभर के युवाओं में टैटू का क्रेज तेजी से बढ़ा है. यूथ खुद को कूल और स्टाइलिश दिखाने के लिए टैटू बनवा रहे हैं. आज यानी 17 जुलाई के दिन हर साल नेशनल टैटू डे मनाया जाता है. आज हम आपको बताएंगे कि टैटू बनवान के दौरान कितनी बार सुई को शरीर में चुभाया जाता है. 


टैटू मेकिंग


भारत समेत कई देशों के महानगरों और टूरिस्ट प्लेस पर टैटू मेकिंग की बहुत सारे दुकान और एक्सपर्ट मौजूद हैं. महिलाओं और पुरुष दोनों वर्ग में टैटू बनवाने का क्रेज खूब बढ़ रहा है. आज के वक्त टैटू बनाने के लिए बहुत सारी आधुनिक मशीनें मौजूद हैं, जिससे टैटू बनवाने वाले लोगों को दर्द बहुत कम होता है. जानकारी के मुताबिक आधुनिक टैटू मशीनें प्रति सेकंड 50-300 बार शरीर की त्वचा में छेंद कर सकते हैं. इसके अलावा टैटू बनाने वाली सुई त्वचा में लगभग 1/16 इंच गहराई तक जाती है. इलेक्ट्रिकल टैटू मशीन त्वचा की बाहरी परत के नीचे लगभग 1.5 मिमी-2 मिमी तक स्याही जमा करती है. हालांकि


कई रिपोर्ट्स में सामने आया है कि जो लोग टैटू बनवाते हैं, उनका बाकी लोगों की तुलना में संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होता है. 
एक्सपर्ट ने बताया कि परमानेंट टैटू जब किसी की त्वचा पर बनाया जाता है, उस दौरान सुई के द्वारा रंग स्किन के कई लेयर के अंदर तक डाला जाता है. यही कारण है कि सालों-साल बाद भी टैटू मिटता नहीं है. हालांकि अस्थाई टैटू सिर्फ स्कीन के ऊपर बनाया जाता है, यही कारण है कि वो आसानी से मिट जाता है. 


परमानेंट टैटू कभी भी अपने आप नहीं हटता है. अब सवाल ये है कि आखिर परमानेंट टैटू कैसे हटता है और इसके लिए कौन सी तकनीक को अच्छा और सुरक्षित माना जाता है. बता दें कि आज के वक्त लेजर टैटू रिमूवल स्थायी टैटू हटाने का सबसे कारगर तरीका है. यह तकनीक त्वचा से टैटू के स्याही के कणों को उच्च-तीव्रता वाले लेजर प्रकाश का उपयोग करके हटाती है. इसके अलावा डर्माब्रेशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एक त्वचा विशेषज्ञ टैटू की स्याही को हटाने के लिए त्वचा की ऊपरी परत को घिसते हैं. ये घिसाई स्किन की भीतरी परतों तक जाती है, इससे टैटू की स्याही स्किन से बाहर निकल जाती है. यह तरीका लेजर टैटू रिमूवल जितना प्रभावी नहीं है और यह काफी दर्दनाक होता है. इसमें निशान, संक्रमण और त्वचा की बनावट में बदलाव का भी अधिक खतरा होता है. टैटू हटाने के लिए सर्जिकल मेथड की मदद लिया जा सकता है. हालांकि ये काफी खर्चीला और संक्रमण जोखिम का खतरा होता है. एक्सपर्ट और डाक्टर्स के मुताबिक टैटू बनवाना शरीर के लिए काफी नुकसान दायक होता है. 


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