ये हर शहर और गांव का काफी आम सीन है कि बच्चा स्कूल नहीं जा रहा है और उसकी पिटाई करके जबरदस्ती उसे स्कूल भेजा रहा है. अगर बच्चा पैरेंट्स के हिसाब से कुछ काम नहीं कर रहा है तो उसे जबरदस्ती अपने हिसाब से या फिर सोसाइटी के हिसाब से ढालने की कोशिश की जा रही है. इसका नतीजा ये है कि जो बच्चा अभी 3,4 या 5 साल का भी नहीं हुआ है, वो अभी से परेशान और दुखी रहने लगा है. लेकिन, नीदरलैंड में ऐसा नहीं है. दरअसल, यहां के बच्चे इतने खुश हैं कि जब भी खुशी रहने वाले बच्चों की बात आती है तो सबसे पहले नीदरलैंड का ही जिक्र होता है. 


ये बात हम नहीं, बल्कि यूनिसेफ की रिपोर्ट कह रही है. साल 2020 में एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें  यूरोपीय देश नीदरलैंड के बच्चों को सबसे खुशहाल माना गया था. यहां तक कि आर्थिक रुप से सक्षम अमेरिका भी इसमें काफी पीछे रहा था. यूनिसेफ ने बच्चों की मेंटल हेप्पीनेस, एजिकेशन, हेल्थ के आधार पर यह जानने की कोशिश की थी कि किस देश के बच्चे सबसे ज्यादा खुश हैं. इस रिपोर्ट में सबसे पहला स्थान नीदरलैंड को मिला और उसके बाद डेनमार्क और नॉर्वे का नाम था. 


अब ऐसे में सवाल है कि आखिर नीदरलैंड में ऐसा क्या है कि वहां के बच्चों को सबसे ज्यादा खुश बच्चे माना जाता है. इसके अलावा सवाल ये भी है कि वहां के पैरेंट्स किस तरह से बच्चो को ट्रीट करते हैं, जिसके कारण वहां बच्चे खुश रहते हैं. तो जानते हैं कि आखिर नीदरलैंड में बच्चों की लाइफस्टाइल क्या है और किस तरह से बच्चों को पाला जाता है. 


क्यों खुश रहते हैं नीदरलैंड के बच्चे?


दरअसल, नीदरलैंड के बच्चों के खुश रहने के पीछे कोई एक वजह नहीं है, बल्कि कई ऐसी बाते हैं, जो बच्चों को खुश रखने में मदद करती है और उनका मानसिक स्वास्थ्य अन्य देशों के बच्चों के मुकाबले काफी ज्यादा अच्छा रहता है. ये हैं वो कारण...


# डच लोग बच्चों से खुलकर बात करने में विश्वास रखते हैं जबकि एशियाई देशों के लोग बच्चों और पैरेंट्स के बीच एक पर्दा रखते हैं. यानी कुछ मुद्दों पर बच्चों से बात नहीं करते हैं, जिनपर बच्चों को जानने की उत्सुकता रहती है. 


# डच लोग अपने बच्चों की अलग तरह से पैरेंटिंग करते हैं. वे उनके विचारों और राय को सुनते हैं, लेकिन साथ ही, जो उन्हें सही लगता है उसे भी बताते हैं. यह घर पर बच्चों और माता-पिता के बीच विवादों को कम करने में मदद करता है. माना जाता है कि ये बच्चों और माता-पिता के बीच प्यार और गर्मजोशी बनाए रखने में मदद करता है. 


# डच अपने परिवार को सबसे ज्यादा प्राथमिकता देते हैं. पैरेंट्स अपने काफी व्यस्त वक्त में से भी अपने बच्चों के लिए टाइम निकालना नहीं भूलते. बच्चे और मां-बाप रोज समय से अपने परिवार के साथ खाना खाते हैं.


# इसके साथ ही वहां का सिस्टम भी इसे सपोर्ट करता है और कर्मचारियों को बच्चों की देखभाल के लिए अलग से छुट्टी दी जाती है. ये डच माता-पिता को दुनिया में सबसे खुश बनाता है और खुश माता-पिता खुश बच्चों का पालन-पोषण करते हैं.


# मानसिक स्वास्थ्य के साथ ही बच्चों की हेल्थ पर खास ध्यान दिया जाता है. इसमें बच्चों की हेल्थ के लिए जर्म्स, बीमारियों का खास ध्यान रखा जाता है. 


एजुकेशन का है अलग सिस्टम!


आजकल बच्चों को सबसे ज्यादा स्ट्रेस एजुकेशन की वजह से मिल रहा है, ऐसे में नीदरलैंड में इसका खास ख्याल रखा जाता है. नीदरलैंड के स्कूलों में सिर्फ कॉम्पिटेशन का माहौल नहीं है, बल्कि यहां लर्निंग के माहौल पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है. स्कूल में नंबर्स या स्कोर पर ध्यान नहीं दिया जाता है और बच्चों के लर्निंग स्किल, जिज्ञासा को लेकर काम किया जाता है. यहां अच्छा प्रदर्शन करने या अधिक नंबर लाने का दबाव नहीं डालते हैं. साथ ही भविष्य में क्या करना है, इसे लेकर बच्चों को लिबर्टी दी जाती है.