दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में अब महज सिर्फ 20 दिन ही बचे हैं. दिल्ली की सभी 70 सीटों के लिए एक ही चरण में 5 फरवरी 2025 को मतदान होगा, जबकि 8 फरवरी को मतगणना होगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दो विधानसभा को मिलाकर नई दिल्ली विधानसभा बना था. आज हम आपको बताएंगे कि दिल्ली का पहला चुनाव कैसे था. 


दिल्ली विधानसभा चुनाव


दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सभी पार्टियों ने कमर कस लिया है. दिल्ली की जनता को लुभाने के लिए सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी हो या भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस, हर पार्टी अपनी-अपनी तरफ से योजनाओं की गारंटी दे रही हैं. लेकिन आज हम आपको वो किस्सा बताएंगे कि जब दिल्ली के दो विधानसभा सीट पर एक ही उम्मीदवार जीतकर आया था.


दिल्ली का पहला विधानसभा चुनाव


बता दें कि दिल्ली का पहला विधानसभा चुनाव 27 मार्च 1952 को हुआ था. उस समय दिल्ली में कुल 48 विधानसभा सीटें थीं, जो आज बढ़कर 70 हो गई हैं. आज के चुनाव में हर एक विधानसभा सीट से एक विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचता है, इतना ही अगर कोई नेता दो सीट से चुनाव लड़ता है, तो उसे एक सीट छोड़नी होती है. लेकिन दिल्ली के पहले विधानसभा चुनाव में ऐसा नहीं था। बल्कि उस समय कुछ सीटों से दो-दो विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे थे.


1952 में हुआ पहला विधानसभा चुनाव


दिल्ली में 1952 में आजादी के 5 साल के बाद पहला विधानसभा चुनाव हुआ था. देश में उस समय हर तरफ कांग्रेस पार्टी के समर्थक ज्यादा थे. हालांकि उस समय अखिल भारतीय जनसंघ था, जो आगे चलकर जनता पार्टी में शामिल हुआ था. जिसके बाद अपने मौजूदा भारतीय जनता पार्टी के रूप सामने आया है.


इन सीटों पर जीतकर आए दो नेता 


दिल्ली के पहले चुनाव कुल 48 विधानसभा सीटें थीं, जिनमें 6 सीटें ऐसी थी, जहां से 2-2 विधायक चुनकर आते थे. जानकारी के मुताबिक उस समय दिल्ली रीडिंग रोड, रहगर पुरा देव नगर, सीताराम बाजार तुर्कमान गेट, पहाड़ी धीरज बस्ती जुलाहा, नरेला और मेहरौली विधानसभा सीटों से दो-दो विधायक चुनकर आते थे.


इन दो विधानसभा को मिलाकर बना दिल्ली विधानसभा 


बता दें कि 2008 के चुनावी परिसीमन से पहले गोल मार्केट सीट के नाम से लोग जानते थे. लेकिन साल 2008 में सीट का नाम बदलकर नई दिल्ली कर दिया गया था. गोल मार्केट और मिंटो रोड को मिलाकर नई दिल्ली विधानसभा बनी थी.


दिल्ली में पहला चुनाव


बता दें कि 1952 चुनाव के बाद दिल्ली केंद्र सरकार के अधीन आ गई थी, वहीं 1993 में दिल्ली में दोबारा विधानसभा चुनाव हुआ था. लेकिन 1952 के चुनाव में कुल 48 में से 6 सीटों से दो-दो उम्मीदवार चुनाव जीतकर आए थे. दिल्ली के पहले चुनाव में देश की प्रमुख कांग्रेस पार्टी ने कुल 47 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसे 39 में जीत मिली था. 


वहीं भारतीय जनसंघ ने 31 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे और उसके 5 उम्मीदवार चुनाव जीते थे. सोशलिस्ट पार्टी ने 6 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और 2 पर जीत दर्ज की थी. अखिल भारतीय हिंदू महासभा की तरफ से 5 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे और सिर्फ 1 उम्मीदवार को जीत मिली थी. जबकि कुल 78 निर्दलीयों में से 1 चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचा था.


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