तमिलनाडु को रामेश्वरम से जोड़ने के लिए बना भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज तैयार हो गया है. बीते दिनों इस ब्रिज पर ट्रेन का ट्रायल हुआ जो पूरी तरह से सक्सेसफुल रहा. ट्रायल के दौरान ट्रेन 121 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पुल के ऊपर से गुजरी. आपको बता दें, लगभग 2.2 किमी लंबा बना ये पुल भारत का अपने आप में एक अनोखा पुल है.
इस पुल का लिफ्टिंग मेकेनिज़म कैसे काम करता है
इस वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज की खासियत, इसका लिफ्टिंग सिस्टम है, जो पुल के डेक को ऊंचा या नीचे करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस सिस्टम को चलाने के लिए आमतौर पर हाइड्रोलिक सिलेंडर, इलेक्ट्रिक मोटर या गियर सिस्टम का इस्तेमाल होता है. दरअसल, पुल के डेक को उठाने या नीचे लाने के लिए हाइड्रोलिक पंप और सिलेंडरों का उपयोग किया जाता है.
वहीं जब पुल को उठाने की जरूरत पड़ती है, तब हाइड्रोलिक पंप पानी या फिर तेल को सिलेंडर में भेजता है, जिसकी मदद से सिलेंडर फैलकर डेक को ऊपर की ओर खींचता है. जबकि, कुछ वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज़ में गियर सिस्टम और इलेक्ट्रिक मोटर का उपयोग होता है. आसान भाषा में कहें तो मोटर गियर को घुमाती है, जिससे डेक को ऊपर की ओर उठाने में मदद मिलती है.
किसने बनाया ये ब्रिज
इस ब्रिज को बनाने का काम किया है रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) ने. तमिलनाडु के रामेश्वरम में बने नए पंबन रेल पुल की खासियत की बात करें तो इस पुल में दो लोको और 11 लोडेड वैगनों के साथ लोड डिफ्लेक्शन की भी व्यवस्था है. यह भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज है. आसान भाषा में कहें तो इस पुल के ऊपर से ट्रेन चलेगी, लेकिन जैसे ही कोई समुद्री जहाज इसके पास आएगा ये पुल ऑटोमैटिक तरीके से ऊपर उठ जाएगा और जहाज इसके नीचे से निकल जाएगा. इस पुल को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसके नीचे से बड़े से बड़ा जहाज आसानी से गुजर जाए.
कब रखी गई थी इसकी नींव
आपको बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पंबन पुल की नींव नवंबर 2019 में रखी थी. वहीं आरवीएनएल द्वारा इस पुल का काम फरवरी 2020 में शुरू कर दिया गया था. पहले तय हुआ था कि इस पुल को बनाने का काम दिसंबर 2021 तक पूरा हो जाएगा. लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसकी समय सीमा बढ़ा दी गई. यही वजह है कि यह वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज साल 2024 में जा कर पूरा हुआ.
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