देश का नया संसद भवन बीते कुछ दिनों से सुर्खियों में छाया हुआ है. विशेष तौर पर नए संसद भवन का मकर द्वार. कुछ दिन पहले मकर द्वार पर एनडीए और विपक्षी सांसदों के बीच झड़प हुई. इसमें बीजेपी के एक सांसद को चोट भी आई, जिसका आरोप लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर है. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि संसद में प्रवेश के कितने द्वार हैं? क्या सांसदों और मंत्रियों को एक ही गेट से संसद भवन में एंट्री मिलती है? क्या प्रधानमंत्री, राज्यसभा व लोकसभा स्पीकर भी इसी गेट से संसद में प्रवेश करते हैं? या फिर इनके लिए कोई और प्रवेश द्वार है? चलिए समझते हैं... 


नए संसद भवन को देश की संस्कृति, वास्तुकला और पौराणिक कथाओं को द्वार में रखकर बनाया गया है. इस संसद में प्रवेश के छह द्वार हैं, जिनमें - गज द्वार, अश्व द्वार, गरुड़ द्वार, मकर द्वार, शार्दुल द्वार और हंस द्वार हैं. इन द्वारों पर उनके नाम के मुताबिक मूर्तियां स्थापित की गई हैं, जिनका अपना अलग महत्व है. संसद भवन में तीन सेरेमोनियल द्वार भी हैं. 


सांसदों को किस गेट से मिलती है एंट्री


अब आप सोच रहे होंगे कि संसद भवन में छह द्वार हैं तो सांसदों को किस गेट से एंट्री मिलती है. संसद में धक्का-मुक्की कांड के बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने एक इंटरव्यू में बताया था कि संसद का मकर द्वार ही सांसदों के लिए अंदर जाने का मुख्य दरवाजा है. सभी सांसद इसी दरवाजे से संसद में प्रवेश करते हैं. 


क्या मंत्रियों और प्रधानमंत्री के लिए अलग दरवाजा


किरेन रिजिजू के मुताबिक, प्रधानमंत्री, लोकसभा स्पीकर व अन्य मंत्री मकर द्वार से प्रवेश नहीं करते. उनके लिए अलग-अलग दरवाजे हैं. इसके अलावा संसद के मुख्य तीन सेरेमोलियल द्वार से राष्ट्रपति व अन्य अति विशिष्ट लोगों को प्रवेश मिलता है. ये सेरेमोनियल द्वारा ज्ञान, शक्ति और कर्तव्य के प्रतीक हैं. 


नए संसद में अतिरिक्त सीटें


बता दें, नए संसद भवन को भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है. इसमें लोकसभा सांसदों के लिए 888 सीटें, जबकि पुराने संसद भवन में 550 सीटें ही थीं. वहीं, राज्यसभा में सीटों की संख्या 384 है, जबकि पुराने संसद भवन में राज्यसभा की सिटिंग कैपेसिटी 250 थी.