Medicine : इंग्लैंड में करीब 65 बच्चों को हर साल रीढ़ की हड्डी की बीमारी होती है. यह बीमारी बच्चों में कमजोरी और सांस की दिक्कतें पैदा कर देती है. जिन बच्चों को यह बीमारी होती है, वह अक्सर 2 साल तक है जी पाते हैं. लेकिन अब इन बच्चों की बीमारी एनएचएस द्वारा बनाई गई दवाई से ठीक हो सकती है. इस दवाई की कीमत सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे. आपको बता दें इस दवाई की कीमत है 1.8 मिलियन पाउंड, यानी भारतीय रुपये में 18 करोड़, 06 लाख, 68 हजार, 34 रुपये. जिसे दुनिया की सबसे महंगी दवाई कहा जा रहा है. पहले इस दवाई को बच्चे इस्तेमाल नहीं कर सकते थे, लेकिन अब National Institute for health and care excellence (NICE) द्वारा इसे बच्चों को देने के लिए मंजूरी दे दी गई है.


कैसे काम करती है यह दवाई


इंग्लैंड (England) में हर साल पैदा होने वाले लगभग 65 बच्चों में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी होती है, जो बच्चों में मृत्यु का प्रमुख कारण है. इस बीमारी की सबसे खतरनाक स्टेज टाइप 1 SMA, बच्चों में 6 महीने में भी आ सकती है, जिसे अगर ठीक नहीं किया गया तो बच्चे की 2 साल में ही मृत्यु हो जाती है. आपको बता दें इस दवाई ने शोध के दौरान सिद्ध किया है कि बच्चे इसकी मदद से रेंग या चल भी सकते हैं. यह दवाई बच्चों की कोशिकाओं में जाकर हानिकारक जीन को बदल देता है जिससे बच्चा एक बेहतर जीवन जी सके.


बच्चे को दी गई दवा


England में ही जब एक बच्चे को यह दवाई दी गई तो इसके शरीर में काफी सुधार देखने को मिला. उस बच्चे की मां ने BBC से बात करते हुए कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरा बच्चा ठीक हो सकता है. यह अब चल सकता है और 5 मिनट के लिए खड़ा भी हो सकता है. मुझे अपने बच्चे पर गर्व है कि वह अच्छा कर रहा है. जब मेरा बेटा सात सप्ताह का था, तब उसे स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी हो गई थी. उन्होने कहा कि 'मैं हमेशा चाहती थी कि वह बैठने में सक्षम हो और मुझे पता था कि उसके पास एक अद्भुत जीवन जरूर होगा.'


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