बचपन में चुड़ैलों की कहानियां खूब सुनी होंगी. अक्सर बच्चों को रात में जल्दी सुलाने के लिए घर के बड़े उन्हें डरावनी कहानियां सुनाते थे, जिसमे कुछ चुड़ैलें होती थीं, जो बच्चों को उठा ले जाती थीं.


लेकिन आज हम जिन रात की चुड़ैलों की बात कर रहे हैं वो बच्चों को उठाने वाली नहीं हैं, बल्कि बड़े-बड़े इंसानों को रात के अंधेरे में मौत की नींद सुलाने वाली हैं. चलिए इस आर्टिकल में आपको इनके बारे में विस्तार से बताते हैं.


कौन थीं वो चुड़ैलें


आज हम जिन रात की चुड़ैलों की बात कर रहे हैं, अंग्रेजी में उन्हें 'नाइट विच्स' कहते हैं. ये कोई भूत नहीं थीं, बल्कि कुछ महिला सैनिकों का एक ग्रुप था जो रूसी सेना की तरफ से दुश्मनों पर कहर बरपाती थीं. दरअसल, महिला सैनिकों का ये ग्रुप सोविएत यूनियन ऑल वुमेन 588 बॉम्बर रेजिमेंट से था.


इनका काम रात के अंधेरे में हिटलर के नाजी सैनिकों पर बम बरसाना था. ये अपना काम इतनी सफाई से करती थीं कि दुश्मन को जब तक इनके आने की भनक लगती, सब कुछ खाक हो चुका होता था. यही वजह है कि इतिहास में इन्हें Night Witches के नाम से दर्ज किया गया है.


दुश्मनों पर बरसाए 3 हजार टन बम


हिस्ट्रीहिट की रिपोर्ट के मुताबिक, इस रेजिमेंट का पहला मिशन 1942 में हुआ, इस मिशन में नाइट विच्स को तीन 588th प्लेन दिए गए और उन्हें कहा गया कि उन्हें जर्मन डिविज़न को निशाना बनाना है. इस दस्ते ने अपना मिशन सफल बनाया, लेकिन इस मिशन में उनका एक प्लेन क्रैश कर गया. कहा जाता है कि वर्ल्ड वॉर टू के दौरान नाइट विच्स ने 2400 मिशन पूरे किए. इस दौरान उन्होंने दुश्मनों पर लगभग 3 हजार टन बमों की वर्षा की.


नाइट विच्स की खासियत क्या थी


इस फौजी दस्ते की खासियत थी कि इसमें शामिल महिला पायलट बहुत कम ऊंचाई पर प्लेन उड़ाने में माहिर थीं. ऐसे में वह दुश्मनों के रडार से बच कर निकल जाती थीं. इसके अलावा इनके प्लेन बेहद हल्के होते थे और लकड़ी के बने होते थे. इन महिलाओं को इतनी टफ ट्रेनिंग दी जाती थी कि अगर ये जमीन पर दु्श्मन के हाथों कभी लग जाएं तो अकेले तीन से चार नाजी सैनिकों को मौत की नींद सुला दें.


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