About Nile River: इंसानी अस्तित्व और सभ्यता के विकास में नदियों का योगदान सबसे ज्यादा रहा है. दुनिया की बड़ी-बड़ी और महान सभ्यताओं का जन्म नदियों के किनारे ही हुआ है. चाहे भारत की महान हड़प्पा सभ्यता का सिंधु नदी के किनारे विकास हुआ हो या दुनिया की अन्य की सभ्यताओं की बात हो. नदियों ने इंसान को बहुत कुछ दिया है.


कृषि के विकास से लेकर पीने योग्य पानी और जलीय व्यापार तक नदियों के जरिए इंसान के विकास साथ ही उनकी सभ्यताएं भी फली-फूली हैं. नील नदी भी ऐसी ही एक नदी है जिसके किनारे मिस्र की महान सभ्यता का विकास हुआ. अपने इस आर्टिकल के जरिए हम आपको नील नदी के बारे में खास बातें बताएंगे-


दुनिया की सबसे लंबी नदी है नील-


अफ्रीका महाद्वीप के पूर्वी भाग में प्रवाहित होने वाली नील नदी विश्व की सबसे लंबी नदी है. इसकी लंबाई 6650 किलोमीटर है. व्यापार, कृषि और एक महत्वपूर्ण परिवहन संसाधन के तौर पर यह अपना योगदान देती है. नील नदी अफ्रीका की विक्टोरिया झील से निकलती है. यह नदी 11 अफ्रीकी देशों से होकर गुजरती है जिनमें इथिओपिया और मिस्र जैसे देश शामिल हैं.


मगरमच्छों से भरी है नदी-


नील नदी को खूंखार मगरमच्छों के लिए जाना जाता है. इसमें बहुत बड़ी संख्या में मगरमच्छ पाए जाते हैं. ये मगरमच्छ बहुत खतरनाक हैं. अपने आकार के हिसाब से इनमें ज्यादातर बड़े मगरमच्छों की संख्या ज्यादा है.


मिस्त्र को कहा जाता है नील नदी का उपहार-


नील नदी की उपजाऊ मिट्टी और पर्याप्त पानी की उपलब्धता की वजह से मिस्र की ज्यादातर आबादी को फायदा पहुंचता है. मिस्त्र की प्राचीन सभ्यता भी नील नदी की वजह से फली-फूली थी. यहां बनाए गए दुनिया के आश्चर्यों में शामिल पिरामिडों में लगे पत्थर नील नदी के जरिए ही लाए गए थे. नील नदी के योगदान और महत्व के चलते हर साल इस नदी पर एक खास उत्सव मनाया जाता है. जिसका नाम 'वफा-ए-नील' है. 


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