अब तक आपने सुना होगा कि दुनियाभर के वैज्ञानिक मंगल ग्रह और चांद पर पहुंचन के लिए तमाम तरह के प्रयोग कर रहे हैं और उनमें सफल भी हो रहे हैं. हालांकि, अब ये सब पुराना हो गया है. वैज्ञानिक अब इंसानों को एस्टेरॉयड पर बसाने की बात कर रहे हैं. चलिए आपको बताते हैं नासा का क्या है प्लान और कैसे भविष्य में ये कामयाब होगा.


क्या है नासा का प्लान?


इंसान हमेशा से एस्टेरॉयड की खबर सुन कर उनसे डरते रहे हैं. उन्हें लगता है कि अगर पृथ्वी से एस्टेरॉयड टकरा गया तो तबाही मच जाएगी. हालांकि, नासा जैसी स्पेस एजेंसियां अब एस्टेरॉयड के दिशा और वेग को नियंत्रित करने पर काम कर रही हैं. वहीं कुछ एस्टेरॉयड जो बहुत विशाल हैं उन पर इंसानों की बस्तियां बसाने की भी बात की जा रही है. आपको जानकर हैरानी होगी कि अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने 1970 के दशक से ही ये प्लान तैयार कर लिया था कि कैसे एस्टेरॉयड पर इंसानी बस्तियां बसाई जाएं.


स्पेस में रेडिएशन से कौन बचाएगा?


फ्रंटियर्स इन एस्ट्रोनॉमी एंड स्पेस जर्नल में प्रकाशित एक लेख में यह परिकल्पना की गई थी और लिखा गया था कि भविष्य में नासा जैसी स्पेस एजेंसियां प्लान कर रही हैं कि एस्टेरॉयड पर इंसानी बस्तियां बसाई जाएं. हालांकि, इसके लिए बेहद उन्नत तकनीक चाहिए जिस पर काम हो रहा है. लेकिन इन सब के बीच सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर एस्टेरॉयड पर जो इंसानी बस्तियां बसाई जाएंगी उन्हें रेडिएशन से कौन बचाएगा. इसके हल के लिए वैज्ञानिकों ने तीन सौ मीटर के एक एस्टेरॉयड पर रिसर्च किया और शोध के दौरान पाया कि कार्बन नैनोफाइबर के जरिए इन बस्तियों को और इंसानों को रेडिएशन और कॉस्मिक वेव से बचाया जा सकता है. तो ये बात कही जा सकती है कि वो दिन दूर नहीं जब इंसान अंतरिक्ष में तैरते उल्कापिंडों पर अपना घर बना कर रहेंगे.


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