आज के वक्त में शायद ही ऐसा कोई होगा, जो कंप्यूटर और माउस के बारे में नहीं जानता होगा. आप स्टूडेंट, प्रोफेशनल, गेमर,जॉब या इंटरनेट सर्फ करते हैं, आपको माउस और कीबोर्ड की जरूरत पड़ती ही है. लेकिन इधर बीच एर्गोनॉमिक कीबोर्ड और माउस खूब चर्चा में है. क्या आप जानते हैं कि ये एर्गोनॉमिक कीबोर्ड और माउस क्या है. 


पिछले कुछ दशकों में लंबे वर्किंग ऑवर्स के कारण कार्पल टनल सिंड्रोम जैसी दिक्कतों का सामना कई यूजर्स को करना पड़ता है. इससे हाथ, उंगलियों, कोहनी में भीषण दर्द के साथ-साथ कमर दर्द और स्पॉन्डिलिटिस जैसी समस्याएं तक होने लगती हैं. इस समस्या को दूर करने के लिए पिछले कुछ सालों में मार्केट में एर्गोनॉमिक माउस और कीबोर्ड मार्केट में आने लगे हैं. अपनी खास डिजाइन के कारण एर्गोनॉमिक माउस और कीबोर्ड हाथ, उंगलियों और कलाई पर कम दबाव डालते हैं. इससे उनका नेचुरल पॉश्चर बना रहता और लंबे समय तक कंप्यूटर पर काम करने से भी सेहत पर बुरा असर नहीं पड़ता है. बता दें कि बाजार में आपको कई तरह के एर्गोनॉमिक माउस देखने को मिलेंगे,ऐसे में कौन-सा खरीदना है.ये तय करने से पहले कुछ बातें ध्यान में रखना जरूरी है. 


ग्रिप स्टाइल?


माउस से काम करने का हर यूजर का तरीका अलग होता है. कोई भी दो यूजर्स कभी भी एक तरह से माउस नहीं पकड़ते हैं. आपके माउस पकड़ने के तरीके के हिसाब से ही ये तय करना सही होगा कि कौन-सा एर्गोनॉमिक माउस आपके लिए ठीक रहेगा. बता दें कि आमतौर पर तीन तरह की ग्रिप होती हैं, पॉम ग्रिप यानी हथेली से, क्लॉ ग्रिप यानी उंगलियों से और फिंगरट्रिप ग्रिप यानी उंगलियों की कोर से. 


1.पॉम ग्रिप 


रिसर्च में पाया गया है कि ज्यादातर यूजर्स पॉम ग्रिप वाले ही होते हैं, जिसमें आप माउस को लगभग पूरी हथेली से ही ढंककर इस्तेमाल करते हैं. इस तरह की ग्रिप वाले यूजर्स कलाई का कम और उंगलियों व हथेलियों की मदद से माउस का मूवमेंट ज्यादा करते हैं. बता दें कि इस तरह के यूजर्स जब भी माउस चुनें तो उसका साइज बड़ा होना चाहिए और डिजाइन ऐसा होना चाहिए, जिसमें आपकी हथेलियों को समुचित सपोर्ट और आराम मिल सके.


2. क्लॉ ग्रिप


अक्सर देखा गया है कि क्लॉ ग्रिप वाले यूजर्स माउस को वैसे ही दबोचकर रखते हैं, जैसे बिल्ली अपने शिकार को दबोचती है. इस तरह की ग्रिप वाले यूजर्स अपनी उंगलियों से ही माउस के साथ काम करते हैं, हथेली का इस्तेमाल कम से कम करते हैं. इसलिए ऐसी ग्रिप वाले यूजर्स को मीडियम साइज वाले एर्गोनॉमिक माउस को चुनना चाहिए, उस माउस का प्रीशिसन लेवल भी अच्छा होना चाहिए, जिससे उंगलियों पर प्रेशर कम से कम पड़े. बाजार में ऐसे एर्गोनॉमिक माउस मिलते हैं, जिनमें कुछ रिस्पॉन्सिव बटन्स होते हैं. जिन्हें यूजर की जरूरत के हिसाब से स्पेसिफिक फीचर के मुताबिक कस्टोमाइज भी किया जा सकता है. इसलिए यूजर्स को ऐसे फीचर ढूंढ़ने चाहिए, जिससे लंबे वक्त पर काम करने पर भी उंगलियों, कलाई और कोहनी की मांसपेशियों पर कम दबाव पड़े।


3. फिंगरट्रिप ग्रिप


कई ऐसे लोग भी होते हैं, जो सिर्फ उंगलियों के कोनों से ही काम चला लेते हैं. बाकी हाथ के किसी हिस्से का कम से कम इस्तेमाल करते हैं. अगर आप भी इस तरह की ग्रिप का इस्तेमाल करते हैं तो आपके लिए छोटे साइज और एकदम हल्के-फुल्के एर्गोनॉमिक माउस ही बढ़िया रहते हैं. 


जरूरी बातें


इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि एर्गोनॉमिक माउस की खासियत ये होती है कि वो यूजर्स की खास जरूरतों के हिसाब से कस्टोमाइज किए जा सकते हैं. जैसे उनकी ग्रिप्स,थम्ब या पॉम रेस्ट को थोड़ा एडजस्ट किया जा सकता है. तो इन चीजों में भले ही एर्गोनॉमिक माउस ऑनलाइन ऑर्डर करें, लेकिन एक बार किसी स्टोर में जाकर अपने हाथ के हिसाब से उसे चलाकर जरूर देखना चाहिए. वहीं अगर आपको कार्पल टनल सिंड्रोम जैसी कोई परेशानी है, तो एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लेना चाहिए. 


 


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