ISRO के INSAT-3DS सैटेलाइट को लकर क्यों खुश हैं मौसम वैज्ञानिक
यह सैटेलाइट कई हाइटेक सुविधाओं से लैस है. इसका वजन 2274 किलोग्राम है. इसमें इमेज पेलोड, साउंडर पेलोड, डेटा रिले ट्रांसपोंडर और सैटेलाइट एडेड सर्च एंड रेस्क्यू ट्रांसपोंडर ऐड हैं.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक बार फिर कमाल करने वाला है. दरअसल, इसरो मौसम पर नजर रखने वाले जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट INSAT-3DS को लॉन्च करने वाला है. इस सैटेलाइट की सबसे खास बात ये है कि यह धरती के सापेक्ष चक्कर लगाते हैं और मौसम का बेहद सटीक अनुमान लगाते हैं. इसे आज शाम 5:30 पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा.
जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में होगा तैनात
INSAT-3DS सैटेलाइट को लॉन्च करने के लिए इसरो GSLV Mk II रॉकेट का इस्तेमाल करेगी. बताया जा रहा है कि उड़ान भरने के ठीक 20 मिनट बाद ही ये सैटेलाइट जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में तैनात हो जाएगी. मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसा होने पर उन्हें आने वाले समय में मौसम की सटीक जानकारी मिल पाएगी. इससे सबसे ज्यादा लाभ किसानों को मिलेगा और आम इंसान की भी जिंदगी आसान हो जाएगी. आपको बता दें, इस सिरीज की आखिरी सैटेलाइट INSAT-3DR साल 2016 में लॉन्च हुई थी.
मौसम वैज्ञानिक क्यों खुश हैं
इस सैटेलाइट कि लॉन्चिंग से सबसे ज्यादा खुश मौसम वैज्ञानिक हैं. दरअसल, जैसे ही ये सैटेलाइट जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित होगा, मौसम विज्ञान विभाग (IMD), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT) और मौसम पूर्वानुमान केंद्र को डेटा भेजना शुरू कर देगा. मौसम वैज्ञानिक इस पर 24 घंटे नजर बनाए रखेंगे, जिससे मौसम का सटीक अनुमान लगाया जा सके.
कैसे काम करेगा सैटेलाइट
यह सैटेलाइट कई हाइटेक सुविधाओं से लैस है. इसका वजन 2274 किलोग्राम है. इसमें इमेज पेलोड, साउंडर पेलोड, डेटा रिले ट्रांसपोंडर और सैटेलाइट एडेड सर्च एंड रेस्क्यू ट्रांसपोंडर ऐड हैं. ये आधुनिक इक्विपमेंट बादल, कोहरा, बारिश और बर्फ के अध्ययन में मदद करते हैं. इसके अलावा इस सैटेलाइट के जरिए समुद्री विक्षोभों की स्थिति पर आसानी से नजर रखी जा सकेगी. वहीं हवाओं और बादलों की स्थिति पर भी इसकी मदद से नजर रखी जाएगी.
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