NSG Commando: जी-20 समिट के दौरान एनएसजी कमांडो भी संभालेंगे मोर्चा, जानें क्या है इनकी ताकत
NSG Commando: G20 समिट में सुरक्षा करने की जिम्मेदारी NSG कमांडो को भी दी गई है. विदेश से आने वाले मेहमानों की सेफ्टी रखने वाले इन जवान की ताकत जान आप हैरान हो जाएंगे.
NSG Commando: हम अक्सर 'ब्लैक कैट कमांडो' को सेना के जवानों के अलावा वीआईपी लोगों की सुरक्षा में तैनात देखते हैं. ये राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के जवान हैं. इन दिनों इन्हें दिल्ली में आयोजित होने वाले G20 शिखर सम्मेलन में सुरक्षा की जिम्मेदारी मिली है. इन कमांडो को सबसे बेस्ट जवान माना जाता है, जो किसी भी विषम परिस्थिति में हालात पर काबू पाने की क्षमता रखते हैं. NSG कमांडो ने ही 26/11 के आतंकी हमले में मोर्चा संभाली थी और हालात को काबू में किया था. प्रधानमंत्री सहित देश के कुछ अति महत्वपूर्ण लोगों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए वर्ष 1984 में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड का गठन किया गया था. आइए आज इसकी ताकत और इससे जुड़ी पूरी डिटेल पर नजर डालते हैं.
ट्रेनिंग में ही फेल हो जाए हैं आधे से अधिक जवान
अगर हम बात इसे ज्वॉइन करने की करें तो तो इसकी कोई सीधी भर्ती प्रक्रिया नहीं होती है. इसके लिए सेना और अर्धसैनिक बलों की टुकड़ियों में से बेस्ट जवानों का सेलेक्शन किया जाता है. लगभग 53 प्रतिशत सेलेक्शन भारतीय सेना से होता है. इसके अलावा 47 प्रतिशत कमांडो चार अर्धसैनिक बलों यानी सीआरपीएफ, आईटीबीपी, आरएएफ और बीएसएफ से चुने जाते हैं. कमांडो को 90 दिनों की बेहद कठिन ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है. इस कमांडो में शामिल होने के लिए शुरुआत में एक परीक्षा पास करनी होती है जो असल में एक हफ्ते की कड़ी ट्रेनिंग होती है. कहा जाता है कि 80 फीसदी जवान इसमें फेल हो जाते हैं. केवल 20 प्रतिशत ही अगले चरण तक पहुंचते हैं. टेस्ट के आखिरी दौर तक यह संख्या घटकर 15 फीसदी रह जाती है.
ट्रेनिंग ऐसी कि दुश्मन कांप जाए
आखिरी सेलेक्शन के बाद सबसे कठिन दौर शुरू होता है. यह 90 दिनों का प्रशिक्षण सत्र है. इस दौरान फिजिकल और मेंटल दोनों तरह की ट्रेनिंग दी जाती है. इस ट्रेनिंग की क्षमता इतनी अधिक होती है कि इसे कंप्लीट करने के बाद NSG कमांडो किसी भी स्थिति में सुरक्षा दे देते हैं. ऐसा कहा जाता है कि जिन सैनिकों की योग्यता टेस्ट की शुरुआत में 40 प्रतिशत होती है, वे प्रशिक्षण के अंत तक 90 प्रतिशत तक पहुंच जाते हैं. बैटल असॉल्ट ऑब्स्ट्रक्शन कोर्स और काउंटर टेररिस्ट कंडीशनिंग कोर्स के लिए भी ट्रेनिंग प्रदान की जाती है. लास्ट में एक साइकोलॉजिकल टेस्ट होता है.
अगर हम एनएसजी कमांडो को सरकार के तरफ से दी जाने वाली सैलरी पर बात करें तो पता चलता है कि इन कमांडो का वेतन 84,000 रुपये से लेकर 2.5 लाख रुपये प्रति माह तक होता है. औसत वेतन लगभग 1.5 लाख रुपये प्रति माह है. इसके अलावा कुछ भत्ते भी दिए जाते हैं. बता दें कि जब कोई विदेश से मेहमान आता है तो केंद्र सरकार के आदेश पर उनकी सुरक्षा के लिए इनकी तैनाती है. इस बार G20 शिखर सम्मेलन में भी ऐसा ही हो रहा है.