पढ़िए मेवात के उन मुसलमानों की कहानी, जिनके लिए गाय है सबसे ऊपर, हिंदुओं जैसे हैं रीति-रिवाज
Nuh Violence: हरियाणा के नूंह से भड़की हिंसा अब कई जगहों पर फैल गई है. नूंह की हिंसा के बाद से मेवात के मुसलमानों की चर्चा हो रही है, तो जानते हैं यहां के मुसलमानों से जुड़ी कुछ खास बातें...
हरियाणा के कई शहरों में तनाव का माहौल है. दरअसल, प्रदेश के नूंह शहर में धार्मिक सौहार्द बिगड़ने की घटना के बाद से दूसरे शहरों में भी हिंसा की घटनाएं देखने को मिली. हरियाणा में हो रही हिंसा को लेकर कई तस्वीरें और कई ग्राउंड रिपोर्ट सामने आ रही हैं. इन सभी रिपोर्ट्स में मेवात के मुसलमानों के बारे में बात की जा रही है, जो पहले भी कई बार चर्चा में आ चुके हैं. दरअसल, मेवात के मुसलमानों के बारे में कहा जाता है कि उनका रहन-सहन हिंदुओं की तरह है और उनके कई रीति-रिवाज हिंदू रीति-रिवाजों से मिलते जुलते हैं.
ऐसे में जानते हैं कि आखिर मेवात के मुसलमानों के बारे में ये क्यों कहा जाता है कि उनका रहन सहन क्यों अलग है और मेवात में किस तरह की मान्यताएं मानी जाती है... तो जानते हैं मेवाती मुसलमानों से जुड़ी कुछ खास बातें...
कहां है मेवात का इलाका?
मेवात एक रिजन है, जिसमें राजस्थान और हरियाणा का कुछ क्षेत्र आता है. नूंह भी मेवात का अहम जिला है, जहां पहले भी कई धार्मिक सौहार्द बिगड़ने की घटनाएं सामने आती रहती हैं. अगर राजस्थान की बात करें तो अलवर और भरतपुर जिले का मेव बाहुल्य क्षेत्र है जो मेवात क्षेत्र के नाम से जाना जाता है. इसमें राजस्थान के तिजारा, किशनगढ़ बास, रामगढ़, अलवर, नगर, पाहरी आदि क्षेत्र आते हैं. ऐसे ही हरियाणा का कुछ क्षेत्र मेवात में आता है, जिसमें नूंह, तावड़ू, नगीना, फिरोजपुर झिरका, पुन्हाना और हथीन जैसे क्षेत्र आते हैं. यहां मुसलमानों की आबादी ज्यादा है. राजस्थान में इस क्षेत्र के खास विकास के लिए एक मेवात विकास बोर्ड भी है.
आबादी में कितने मुसलमान?
इस क्षेत्र में रहने वाले मुसलमानों को मेव मुसलमान कहा जाता है. माना जाता है कि यहां की करीब 79 फीसदी मुसलमानों की है. सेंटर फॉर पॉलिसी स्टडीज में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, 2011 की जनसंख्या के हिसाब से यहां हरियाणा की चार तहसील में 91 लाख मुसलमान रहते हैं. हरियाणा में नूहं में करीब 76 फीसदी, फिरोजपर में करीब 84 फीसदी, पुन्हाना में 87 फीसदी मुस्लिम रहते हैं. राजस्थान में तिजारा में 37, किशनगढ़ में 33, रामगढ़ में 38, अलवर में 16, नगर में 35, पाहरी में 72 फीसदी मुस्लिम रहते हैं.
कैसे रहते हैं वहां के मुसलमान?
कई रिपोर्ट में इतिहासकारों के हवाले से कहा गया है कि मेव मुसलमान मेवाती बोलते हैं और वो चौहान राजपूत के वंशज हैं. कई मेवाती खुद को अर्जुन का वंशज मानते हैं. यहां के लोगों की शादी हिंदू शादियों से मिलती जुलती है. उनका कहना है कि गाय तो दूध देती है और पेट पालती है और हम माता और देवी के रूप में मानते हैं. यहां के लोग एक खास पगड़ी पहनते हैं और महिलाएं घूंघट के साथ घाघरा आदि पहनती हैं. साथ ही यहां के लोग एक गोत्र में शादी नहीं करते और नाम भी हिंदुओं से मिलते जुलते हैं.
मेवात इलाके बहुत बड़ा वर्ग गाय रखता है और कई परिवार गाय पालते हैं. इतना ही नहीं, मेवात के मुस्लिमों में बेटी की शादी के बाद लड़के वालों को गाय दान में देने की परंपरा है. मेवों ने ये मांग भी की है कि गाय को भारत का राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए और उसके वध पर प्रतिबंध लगाया जाए.
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