Old Cricket Balls: भारत में क्रिकेट के जबरा फैन्स हैं. यही दीवानगी है कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड के पास दुनिया के दूसरे किसी भी बोर्ड से अधिक पैसा है. जितना अधिक लोग पसंद करते हैं, बोर्ड को उतनी अधिक कमाई होती है. बोर्ड उस कमाई का इस्तेमाल क्रिकेटर्स की फीस देने और मैच में इस्तेमाल होने वाली दूसरी चीजों के लिए करता है. क्या कभी आपने सोचा है कि जिस बॉल से मैच होती है. पुरानी होने पर उसका क्या होता है? क्या एक बार इस्तेमाल होने के बाद उस बॉल को दूबारा यूज नहीं किया जाता है? आज की स्टोरी में हम यही जानेंगे. 


बेहद खास होती है यह गेंद?


सभी फॉर्मेट के क्रिकेट मैच के लिए उसके हिसाब से गेंद का चयन किया जाता है. जैसे टेस्ट मैच में रेड बॉल का इस्तेमाल होता है, जबकि टी-20 या वनडे मैच में वाइट लेदर बॉल का यूज होता है. अब पिंक बॉल भी इस्तेमाल हो रहा है. यह फॉर पीस लेदर बॉल होती है, जो नॉर्मल टू पीस से अलग और एक्सपेंसिव होती है. सभी देश एक ही तरह की गेंद का इस्तेमाल नहीं करते हैं. वे अलग-अलग कंपनियों द्वारा तैयार की गई गेंद का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन आम तौर पर टी-20 और वन डे मैच में कूकाबुरा की टर्फ वाइट बॉल का इस्तेमाल होता है. 


गेंदबाज के रिक्वेस्ट पर भी नहीं मिलती है नई गेंद


आखिर एक मैच में कितनी गेंद का इस्तेमाल किया जाता है. टी-20 और वनडे मैच में एक पारी के लिए एक गेंद दी जाती है. यानी एक मैच खेलने में दो नई गेंद का इस्तेमाल किया जाता है और इसके अलावा सामान्य परिस्थितियों में नई गेंद नहीं दी जाती है. अगर गेंदबाज रिक्वेस्ट भी करता है तब भी नहीं. मान लीजिए अगर कभी गेंदबाज गेंद की शेप बदलने की शिकायत करता है तो उसे दूसरी गेंद दी जाती है, लेकिन वह पुरानी होती है. आप इसको ऐसे समझिए. अगर 15वें ओवर में गेंद बदलने की रिक्वेस्ट आती है तो उस वक्त उस गेंदबाज को वैसे गेंद दी जाएगी जिसे किसी मैच में करीब 15 ओवर तक इस्तेमाल किया जा चुका हो. खेल में जितनी गेंद इस्तेमाल होती है, उसका पूरा डेटा रखा जाता है. बाद में जब किसी दूसरी गेंद की जरूरत पड़ती है तो वही पुराना गेंद इस्तेमाल में लाया जाता है. 


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