लोकसभा चुनावों के साथ ओडिशा में विधानसभा के भी चुनाव थे. इस चुनाव में पहली बार बीजेपी ने अपने दम पर बहुमत हासिल किया है. बीजेपी को राज्य की 147 सीटों में से 78 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल हुई है. बीजेपी की जीत के बाद, लोगों को इंतजार था कि आखिर ओडिशा में बीजेपी का पहला मुख्यमंत्री चेहरा कौन होगा.


अब इस राज से पर्दा उठ गया है. ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने मोहन माझी को विधायक दल का नेता चुन लिया है. मोहन माझी अब बुधवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. मोहन चरण माझी के बारे में सबसे खास बात ये है कि उन्होंने सरपंच से सीएम तक का सफर तय किया है. आज इस आर्टिकल में हम आपको पांच ऐसे भारतीय नेताओं की कहानी बताएंगे, जिन्होंने सरपंच से सीएम तक का सफर तय किया है.


सरपंच से सीएम मोहन चरण माझी


ओडिशा 2024 के विधानसभा चुनाव में मोहन चरण माझी ने क्योंझर Keonjhar विधानसभा सीट से बीजेडी की मीना माझी को चुनाव हरा कर 11,577 वोटों से जीत दर्ज की है. चार बार के विधायक मोहन माझी आदिवासी समुदाय से आते हैं. पहली बार साल 2000 में मोहन माझी क्योंझर से विधायक चुने गए थे. इसके बाद साल 2004 में उन्होंने इस सीट से फिर जीत दर्ज की. हालांकि, 2009 और 2014 के विधानसभा चुनाव में उन्हें इसी सीट से हार का भी सामना करना पड़ा था. मोहन माझी साल 1997 से 2000 तक सरपंच भी रहे हैं.


दूसरे नंबर पर भजन लाल शर्मा


भजन लाल शर्मा साल 2023 में राजस्थान के मुख्यमंत्री बने. लेकिन उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत आरएसएस के साथ की थी. बीजेपी में वो कई बड़े पदों पर रहे हैं. लेकिन विधायक का चुनाव साल 2023 में उन्होंने पहली बार लड़ा और जीता. हालांकि, इससे पहले वह 27 साल की उम्र में भरतपुर की एक ग्रामपंचायत से सरपंच भी चुने गए थे.


तीसर नाम पर विष्णु देव साय


छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णु देव साय ने भी अपना सफर सरपंच से शुरू किया था. साल 1989 में अपने गांव बगिया ग्राम पंचायत से उन्होंने बतौर पंच अपना राजनीतिक करियर शुरू किया. इसके बाद उनका संपर्क बीजेपी के दिग्गज नेता दिलीप सिंह जूदेव से हुआ. दिलीप सिंह ने उन्हें बड़े मंच से राजनीति करने का न्योता दिया और फिर विष्णु देव साय 1990 में बीजेपी के टिकट से पहली बार विधायक बन गए. विष्णु देव साय ने इसके बाद पीछे मुड़ कर नहीं देखा. वो 2 बार विधायक और 4 बार सांसद बने.


विलासराव देशमुख भी हैं लिस्ट में शामिल


महाराष्ट्र कांग्रेस के कद्दावर नेता विलासराव देशमुख का सफर भी सरपंच से सीएम तक रहा है. विलासराव देशमुख ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत पहले पंच बन कर, फिर सरपंच बन कर की थी. इसके बाद वो जिला परिषद के सदस्य भी रहे और फिर लातूर तालुका पंचायत समिति के उपाध्यक्ष भी रहे. इसके बाद जब राजनीति में उन्होंने अपना कदम रखा तो 1980 से 1995 तक लगातार तीन बार विधायक चुने गए. कई बार मंत्री रहने के बाद, साल 1999 में वो महाराष्ट्र के सीएम बने.


प्रकाश सिंह बादल को नहीं भूल सकते


पंजाब के सियासत की बात जब भी होगी, उसमें प्रकाश सिंह बादल का नाम जरूर आएगा. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने राजनीति में 1947 में अपना कदम रखा. उन्होंने अपना पहला चुनाव सरपंच के लिए लड़ा. प्रकाश सिंह बादल जब अपने गांव बादल से सरपंच के लिए चुनाव जीत कर आए तो वह सबसे कम उम्र के सरपंच थे. इसके बाद उन्होंने 1957 में पहला विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीता. इसके बाद प्रकाश सिंह बादल ने कई चुनाव जीते और कई मंत्रालयों का कार्यभार संभाला. पहली बार प्रकाश सिंह बादल 1970 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने.


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