Jagannath Temple Row: ओडिशा का जगन्नाथ मंदिर काफी मशहूर है, यही वजह है कि हर साल लाखों लोग यहां दर्शन करने पहुंचते हैं. हालांकि पिछले कुछ दिनों से ये मंदिर विवादों की वजह से चर्चा में है. यहां पर गैर हिंदुओं और विदेशियों की एंट्री को लेकर ये विवाद छिड़ा है. इस मंदिर में सिर्फ हिंदुओं को ही जाने की इजाजत है, इसकी जानकारी मंदिर परिसर में साफ तौर पर लिखी गई है. ओडिशा के राज्यपाल के एक बयान के बाद इस पुराने विवाद को हवा मिली और अब इस पर खूब बहस हो रही है.
कैसे शुरू हुआ विवाद?
दरअसल राज्यपाल गणेशी लाल ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि विदेशी पर्यटकों को भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने की इजाजत मिलनी चाहिए. उन्होंने इसे अपनी निजी राय बताया और कहा कि कई लोग इसकी सराहना नहीं करेंगे. राज्यपाल के इस बयान के बाद से ही एक बार फिर मंदिर की प्रथा और नियमों को लेकर बहस तेज हो गई. कई लोगों ने सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को उठाया. वहीं सेवकों और भगवान जगन्नाथ को पूजने वालों ने कहा कि परंपराओं और प्रथाओं से छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए.
क्या हैं मंदिर के नियम?
जगन्नाथ मंदिर देश के उन धामों में से एक है, जहां लाखों-करोड़ों लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं. मान्यता है कि भगवान विष्णु यहां जगन्नाथ के रूप में विराजमान हैं. इस मंदिर में पिछले कई दशकों से सिर्फ हिंदुओं को ही पूजा करने की अनुमति है. गैर हिंदू इस मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते हैं. यहां तक कि विदेशी पर्यटकों के लिए भी एंट्री बैन है. मंदिर के इस नियम को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं. कुछ सेवादारों का कहना है कि मंदिर के निर्माण के वक्त से ही ये नियम बनाए गए थे. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि मुस्लिम शासकों के हमलों के बाद मंदिर में गैर हिंदूओं की एंट्री को लेकर ये नियम बनाए गए.
काफी पुराना है विवाद
जगन्नाथ मंदिर की इस परंपरा को लेकर विवाद नया नहीं है. इससे पहले भी इसे लेकर कई तरह के विवाद हो चुके हैं. सबसे बड़ा विवाद तब हुआ था जब 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को मंदिर में प्रवेश देने से इनकार कर दिया गया. इसका कारण इंदिरा के गैर हिंदू शख्स से शादी करने को बताया गया. इसके अलावा थाईलैंड की राजकुमारी को भी 2005 में मंदिर में दर्शन से रोका गया. साथ ही उस विदेशी महिला को भी मंदिर में एंट्री नहीं दी गई, जिसकी तरफ से मंदिर को 1.78 करोड़ का दान दिया गया था.