History of Motorcycle: समय का चक्र धीरे-धीरे बीतता है यही नियति है. एक समय वह था जब दुनिया अपने पैरों पर सैकड़ों-हजारों किलोमीटर का सफर तय करती थी और आज इस दुनिया में लोग हवाई जहाज से एक से दूसरे मुल्क में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं. पैदल से साइकिल, साइकिल से मोटरसाइकिल और फिर हवाई जहाज तक का सफर कैसे तय हुआ? दुनिया कितनी तेजी से आगे बढ़ गई? और इस सफर में इंसान ने कितनी तरक्की की? इस पर बात होनी चाहिए. लेकिन आज मोटरसाइकिल की बरसी है. इसलिए आज हम इसी विषय पर बात करेंगे,  क्योंकि आज ही के दिन साल 1885 में पहली बार दुनिया को मोटरसाइकिल मिली थी. 


क्या है इतिहास?


जर्मनी के इंजीनियर गोटलिबे डैमलर ने सबसे पहली बार मोटरसाइकिल बनाई थी. उस मोटरसाइकिल के नाम का मतलब डैमलर रेइटवेगन रखा गया था. इसका मतलब है राइडिंग साइकिल. इस मोटरसाइकिल को इसके जनक यानी डैमलर फादर ऑफ साइकिल कहां करते थे. यह पहली ऐसी मोटरसाइकिल थी जो पेट्रोलियम पदार्थ से चलने में सक्षम थी. इसमें कंबूसन का इस्तेमाल किया गया था. यह एक ऐसा इंजन था, जिसके अंदर पेट्रोलियम पदार्थ जलता था और उससे निकलने वाली एनर्जी से मोटरसाइकिल रफ्तार भरती थी.


बाद में उन्होंने निकोलस अगस्त ओटो की कंपनी के साथ सहयोग किया. ओटो ने पेट्रोलियम से चलने वाला पहला इंजन विकसित किया था. बाद के दिनों में डेमलर की देखरेख में ओटो की कंपनी ने पेट्रोल इंजन के विकास को और आगे बढ़ाया. शुरुआत में ओटो ने एक छोटा इंजन बनाने की योजना नहीं बनाई थी, इसलिए वह और एक अन्य इंजीनियर, मेबैक सेना में शामिल हो गए और कैनस्टैट चले गए. वहां, उन्होंने 1883 में सफलतापूर्वक एक तेज स्पीड विस्फोट इंजन विकसित किया. यह एक क्षैतिज सिलेंडर इंजन था जो पेट्रोलियम नेफ्था पर चलता था. बाद में, डेमलर और मेबैक ने एक वर्टिकल सिलेंडर इंजन विकसित किया, जिसे क्लॉक इंजन के दादा के रूप में जाना जाता है, जो 700 और फिर 900 आरपीएम की गति प्राप्त करता है. आज के समय में कई अलग-अलग पावर की मोटरसाइकिल बना दी गई है.


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