आज केे समय में जहां हम पुलिस के जवानों को पैंट और शर्ट पहने पूरी वर्दी में देखते हैं, वहीं एक समय ऐसा भी था. जब दिल्ली पुलिस के जवान निकर पहनकर ड्यूटी करने निकला करते थे. ये बात आज से लगभग 6 दशक पहले की हैै. उस समय में हर ट्रैफिक चौराहे पर हाफ पैंट पहनकर जवान मुस्तैद रहा करते थे, लेकिन वक्त के साथ उनकी वर्दी का रंग और ढंग भी बदलता गया.


कैसे वर्दी होती थी अफसरों की पहचान?
हमारे देश में जब स्वतंत्रता संग्राम छिड़ा तो पुलिस की खाकी वर्दी निकर से शुरू हुई. उस समय वर्दी से ही अफसरों और कैडर्स की पहचान होती थी. इसके अलावा अलग-अलग कार्यक्रमों के लिए विभिन्न ड्रेस कोड भी हुआ करते थे. विभिन्न आयोजनों के लिए मेस ड्रेस, से लेकर सेरेमनी ड्रेस, फील्ड ड्रेस, आर्म्स ड्रेस पहनने का रिवाज हुआ करता था.


कब और कैसे बदलती गई वर्दी
1861 से लेकर 1902 तक कांस्टेबल की वर्दी का रंग नीला हुआ करता था. उस समय थानेदार की वर्दी भी अलग हुआ करती थी. फिर साल 1969 में खाकी वर्दी से निकर को हटा दिया गया और इसकी जगह फुल पैंट ने ले ली.


दिल्ली पुलिस म्यूजियम में सरंक्षित रिकॉर्ड के अनुसार, पुलिस की सबसे पहले की पोशाक मुगलकालीन हुआ करती थी. इसके बाद अंग्रेजी हुकूमत में पुललिस की पोशाक का रंग रूप बदल गया. फिर अंग्रेजों ने ही खाकी निकर और नीली शर्ट का फरमान जारी कर दिया. आज दिल्ली के हर चौराहे पर यातायात पुलिस के जवान नीली पैंट और सफेद शर्ट में नजर आते हैं. 1948 से लेकर 1962 के बीच सभी पुलिस केे जवानों की वर्दी पूरी तरह खाकी रंग की हुआ करती थी. उस समय पुलिस के जवान ढीली निकर और ढीली शर्ट, पैरों में लंबे जुराब, सिर पर कैप पहना करते थे. उस समय महिला पुलिस के लिए भी वर्दी क्या रखी जाए इसको लेकर काफी बहस छिड़ी हुई थी.         


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