कहते हैं समय के साथ समाज और उसकी सोच दोनों बदलती है. लेकिन, महिलाओं के मामले में ऐसा होता ज़मीनी तौर पर तो दिखाई नहीं दे रहा है. कहने को ये आधुनिक युग है, इस युग में इंसान विज्ञान के माध्यम से नित नए आयाम गढ़ रहा है.


लेकिन, महिलाओं को पुरुषों के बराबर समानता का अधिकार देने की जब भी बात आती है, समाज सदियों पीछे चला जाता है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट भी यही मानती है. चलिए इसके बारे में विस्तार से बात करते हैं.


क्या कहती है रिपोर्ट


साल 2023 में वर्ल्ड बैंक द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं को व्यवसाय और कानून के आधार पर सिर्फ दुनिया के 14 देशों में समानता का अधिकार है. ये देश हैं, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, ग्रीस, आइसलैंड, आयरलैंड, लातविया, लक्जमबर्ग, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, जर्मनी और नीदरलैंड. ये ऐसे 14 देश हैं जो पुरुषों और महिलाओं को कम से कम कानूनी और व्यवसायिक दृष्टिकोण से पूर्ण समान अधिकार देते हैं.


जर्मनी और नीदरलैंड बधाई के पात्र


2023 में 100 अंक पाने वालों की लिस्ट में जर्मनी और नीदरलैंड पहली बार शामिल हुए थे. यानी इन दोनों देशों ने कई मामलों में महिलाओं और पुरुषों के अधिकार को एक समान बनाया. जैसे, माता-पिता की छुट्टी के अधिकार को समान बनाया. इसके अलावा भी कई ऐसे अधिकार थे, जिनमें महिलाओं और परुषों को बराबर रखा गया.


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इन देशों में महिलाओं की हालत सबसे खराब


इस लिस्ट में वेस्ट बैंक और गाजा सबसे नीचे हैं. यहां महिलाओं के पास व्यवसायिक और कानूनी अधिकार ना के बराबर हैं. इसके बाद यमन, सूडान और कतर हैं. इन देशों में भी महिलाओं को व्यवसायिक और कानूनी अधिकार बहुत कम मिले हुए हैं. आपको बता दें, 2019 की लिस्ट में सबसे नीचे सऊदी अरब था. लेकिन, हाल ही में वहां लागू किए गए नए कानूनों के बाद सऊदी अरब के स्कोर में सुधार हुआ और वह 71.3 प्रतिशत के साथ 136वें स्थान पर है.


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