भारत की जेलों को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं. जैसे- जेल में 24 घंटे में दो दिन होते हैं, उम्रकैद की सजा बस 14 साल की होती है. इसके अलावा भी जेल की दुनिया के बारे में लोगों को काफी रुचि रहती है. मसलन, वहां कैदी कैसे रहते हैं? उनसे क्या-क्या काम करवाया जाता है? जेल में खूंखार अपराधियों की सेल कैसी होती है? वीवीआईपी कैदियों को कहां रखा जाता है? जेल में रहकर कैदी कैसे कमाते हैं? ऐसे तमाम सवाल लोगों के दिलोदिमाग में घूमा करते हैं. 


हालांकि, हम यहां भारत की एक ऐसी जेल के बारे में बात करेंगे, जहां किसी तरह की सलाखे नहीं होती, यहां तक कि इस जेल में कैदियों की सेल में ताले भी नहीं लगाए जाते और न बेड़ियां पहनाई जाती हैं. आप सोच रहे होंगे कि क्या ऐसी भी कोई जेल होती होगी? हालांकि, यह सच है...


आठ तरह की होती हैं जेलें


भारत में आठ तरह की जेलें होती हैं. इसमें सेंट्रल जेल से लेकर उप जेल तक शामिल हैं. सेंट्रल जेल वे जेले होती हैं, जहां 2 साल से अधिक सजा पाए दोषियों या फिर खूंखार अपराधियों को रखा जाता है. इन जेलों में काफी सुरक्षा व्यवस्था होती है. मध्य प्रदेश में देश की सबसे ज्यादा 11 सेंट्रल जेले हैं. वहीं, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु और पंजाब में 9-9 सेंट्रल जेले हैं. इसके अलावा जिला स्तर पर ड्रिस्ट्रक्ट जेल होती हैं. वहीं, सब डिवीजन स्तर पर सब जेलें होती हैं. 


इन जेलों में मिलती है विशेष सुविधा


भारतीय जेलों की कैटेगरी में से एक जेल होती है ओपन जेल. यह ऐसे कैदियों के लिए होती है, जो व्यवहार में अच्छे होते हैं और जेल के नियमों में खरा उतरते हैं. इन जेलों में कैदियों को विशेष सुविधाएं दी जाती हैं. यहां तक कि ओपन जेल में रखे जाने वाले कैदी सुबह उठकर काम पर भी जा सकते हैं और रात होते ही सब वापस जेल में लौट आते है.  इन जेलों में सलाखें नहीं होतीं और ताले भी नहीं डाले जाते. यहां सुरक्षा व्यवस्था भी कम होती है. भारत में इस तरह की जेलों की शुरुआत अंग्रेजों के काल में हुई थी. देश की पहली ओपन जेल 1905 में मुंबई में खोली गई थी. अगर सेंट्रल जेलों में भी किसी कैदी का व्यवहार अच्छा होता है तो उसे भी ओपन जेल में ट्रांसफर किया जा सकता है. 


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