आज से कुछ दशक पहले तक देखे जाने वाले मनोरंजन के लिए इंसानों के पास टीवी ही एकमात्र साधन था. ऐसे में उस पर दिखाए जाने वाले कंटेंट पर नजर रखना सरकार के लिए और उससे जुड़ी संस्थाओं के लिए आसान था. हालांकि, अब ऐसा नहीं है. इंटरनेट पर हजारों ओटीटी प्लेटफॉर्म्स मौजूद हैं जो मनमाने तरीके से कंटेंट परोस रहे हैं. इसमें कुछ ओटीटी प्लेटफॉर्म्स तो ऐसे हैं जो भर-भर कर अश्लील कंटेंट दर्शकों को परोस रहे हैं. यही वजह रही कि हाल ही में भारत सरकार ने ऐसे 18 ओटीटी प्लेटफॉर्म पर बैन लगा दिया.


सरकार ने क्यों लगाया बैन


गुरुवार को भारत सरकार ने 18 ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अश्लील सामग्री परोसने के आरोप में बैन लगा दिया. इसके अलावा इनसे जुड़े कुछ सोशल मीडिया अकाउंट्स, 19 वेबसाइट, 10 एप और अलग-अलग 57 सोशल मीडिया हैंडल्स पर भी कार्रवाई हुई है. सरकार का आरोप है कि ये प्लेटफॉर्म्स महिलाओं को अपमानजनक तरीके से दिखा रहे थे. इसके अलावा इन पर रिश्तों को गलत तरीके से दिखाने का भी आरोप था.


सरकार तक कैसे पहुंचते हैं ये मामले


भारत सरकार की कार्रवाई के बाद सोशल मीडिया पर ये सवाल खूब पूछा जा रहा है कि आखिर सरकार या फिर संबंधित संस्थाओं को ये कैसे पता चलता है कि किस ओटीटी प्लेटफॉर्म या सोशल मीडिया हैंडल पर अश्लील कंटेंट परोसा जा रहा है. चलिए अब आपको इसका जवाब देते हैं. दरअसल, भारत सरकार ने कई तरह के पोर्टल और ऑनलाइन पते बना रखे हैं, जहां कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह के अश्लील कंटेंट को लेकर शिकायत दर्ज करा सकता है.


इन्हीं शिकायतों के आधार पर सरकार इन प्लेटफॉर्म्स की जांच करती है, फिर उन्हें चेतावनी देती है, इसके बाद इन पर कार्रवाई करती है. जैसे- अगर आपको किसी ओटीटी प्लेटफॉर्म को लेकर शिकायत दर्ज करानी है तो आप TRAI को advqos@trai.gov.in इस पते पर अपनी शिकायत भेज सकते हैं. वहीं services.india.gov.in पर भी जा कर आप शिकायत दर्ज करा सकते हैं. इसके अलावा mib.gov.in पर जाकर भी आप इस तरह के किसी प्लेटफॉर्म की शिकायत कर सकते हैं.


किन धाराओं के तहत होती है कार्रवाई


मौजूदा समय में भारत सरकार ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के कंटेंट की निगरानी इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड नियम, 2021 के आधार पर करती है. इसके नियमों के अनुसार, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को अपने कंटेंट का क्लासिफिकेशन, ऐज रेटिंग और सेल्फ रेगुलेशन का खुद पालन करना होगा. अगर किसी ओटीटी प्लेटफॉर्म ने ऐसा नहीं किया तो इस एक्ट की धारा 67, 67A और 67B के तहत सरकार पेश किए जा रहे आपत्तिजनक कंटेंट को ब्लॉक करने का अधिकार रखती है. इसके अलावा सरकार इस तरह के कंटेंट को आईपीसी की धारा 292 और महिलाओं के अश्लील प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम, 1986 की धारा 4 का उल्लंघन भी मानती है.


कितनी मिलती है सजा


ऐसे में मामलों में आईपीसी की धारा 67 के तहत भी कार्रवाई होती है. IPC की धारा 67 के मुताबिक, अगर कोई शख्स अश्लील कंटेंट इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से प्रसारित करता है या प्रकाशित करता है या अश्लील कंटेंट को प्रसारित करने का कारण बनता है या इसके लिए किसी को प्रेरित करता है तो इसे अपराध माना जाएगा. ऐसे में इस तरह के किसी मामले में लिए पहली बार दोषी पाए जाने पर तीन साल तक कैद और पांच लाख तक जुर्माने का प्रावधान है. जबकि, अगर दूसरी बार ऐसा करते हुए किसी को दोषी पाया जाता है तो उसे पांच साल की कैद और 10 लाख तक जुर्माने का प्रावधान है.


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