पाकिस्तान चुनाव से पहले जानिए वहां की संसद हमारी संसद से कितनी अलग है?
पाकिस्तान में संसद को मजलिस-ए-शूरा कहते हैं. फिलहाल ये पाकिस्तान के इस्लामाबाद में है. हालांकि, 1960 से पहले ये पाकिस्तान के कराची में हुआ करता था.
पाकिस्तान में 8 फरवरी को वोटिंग है. वहां के चुनाव आयोग ने नेशनल असेंबली और राज्य की विधानसभाओं के 859 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए 26 करोड़ मतपत्रों का वितरण शुरू कर दिया है. लेकिन इस चुनाव से पहले चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर पाकिस्तान और भारत की संसद में कितनी समानताएं हैं और यह दोनों संसद एक दूसरे से किन बातों पर अलग हैं.
कैसी है पाकिस्तान की संसद
पाकिस्तान की संसद के बारे में बात करें तो वो भारतीय संसद की तरह ही है. यहां भी भारत की तरह दो सदम होते हैं. हालांकि, दोनों देशों में नाम का फर्क है. जैसे भारत में निचल सदन को लोकसभा और उच्च सदन को राज्य सभा कहते हैं. वहीं पाकिस्तान में निचले सदन यानी राष्ट्रीय असेंबली को कौमी इस्म्बली और उच्च सदन यानी सीनेट को आइवान-ए बाला कहते हैं.
एक बड़ा फर्क ये भी है
पाकिस्तान में राष्ट्रीय असेंबली यानी कौमी इस्म्बली भारत की लोकसभा की तरह काम करती है. लेकिन यहां राष्ट्रपति भी संसद का हिस्सा होता है. पाकिस्तान के दोनों सदनों में राष्ट्रपति शामिल होता है. जबकि, भारत में ऐसा नहीं है. भारत में राष्ट्रपति किसी भी सदन में शामिल नहीं होता.
वहां की संसद को क्या कहते हैं
पाकिस्तान में संसद को मजलिस-ए-शूरा कहते हैं. फिलहाल ये पाकिस्तान के इस्लामाबाद में है. हालांकि, 1960 से पहले ये पाकिस्तान के कराची में हुआ करता था. अब बात करते हैं कि यहां आम चुनाव कैसे होते हैं. दरअसल, पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में 342 सदस्य होते हैं, जिसमें सिर्फ 272 ही प्रत्यक्ष मतदान के लिए चुने जाते हैं. वहीं बाकी के 70 उम्मीदवारों के लिए चुनाव नहीं होता. वहीं इनमें 10 सीटें ऐसी होती हैं जो पाकिस्तान के पारंपरिक और धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के लिए आरक्षित होती हैं. इनका चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व के नियम के तहत होता है.
राज्यसभा की तरह आइवान-ए-बाला
भारत में जैसे राज्य सभा है उसी तरह से पाकिस्तान में आइवान-ए-बाला जिसे सीनेट भी कहते हैं. ये कभी डिजॉल्व नहीं होती. बस समय-समय पर इसके सदस्य बदलते रहते हैं. यहां सदस्यों का कार्यकाल 6 साल का होता है. आइवान-ए-बाला के पास कई विशेष अधिकार होते हैं जो नेशनल असेंबली के पास नहीं होते. आपको बता दें, पाकिस्तान के संविधान में सीनेट को भंग करने का कोई प्रावधान नहीं है.
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