पाकिस्तान की ये ट्रेन है सबसे अलग, इंजन की जगह घोड़ा बांध के चलाते हैं काम
हम जिस ट्रेन की बात कर रहे हैं, उसे पाकिस्तानी घोड़ा ट्रेन कहते हैं. इसकी शुरुआत साल 1903 में हुई थी. लेकिन इतनी तकनीक के बाद भी वहां इस ट्रेन को घोड़ा ही खींचता है.
पाकिस्तान में कई ऐसी चीजें होती हैं, जिन्हें देखकर आप हैरान हो जाएंगे. फिलहाल हम चिस चीज की बात कर रहे हैं वो है वहां की एक ट्रेन. ये इकलौती ऐसी ट्रेन है जिसे चलाने के लिए इंजन का नहीं बल्कि घोड़े का इस्तेमाल होता है. सबसे बड़ी बात की ये ट्रेन आज से नहीं करीब 120 साल पहले से चल रही है. चलिए इसके बारे में और तफ़सील से जानते हैं.
पाकिस्तान में कहां चलती है ये ट्रेन
हम जिस ट्रेन की बात कर रहे हैं, उसे पाकिस्तानी घोड़ा ट्रेन कहते हैं. इसकी शुरुआत साल 1903 में हुई थी. लेकिन इतनी तकनीक के बाद भी वहां इस ट्रेन को घोड़ा ही खींचता है. इस ट्रेन के लिए बकायदा पटरियां बनाई गई हैं, जिन पर ये ट्रेन दौड़ती है. अब आते हैं कि ये ट्रेन आखिर पाकिस्तान में चलती कहां है. तो आपको बता दें कि ये ट्रेन पाकिस्तान के फैसलाबाद में चलती है.
एक हिंदू की देन है ये ट्रेन
पाकिस्तान आज मुस्लिम बहुल देश है और वहां हिंदुओं की स्थिति बेहद खराब है. लेकिन बंटवारे से पहले जब पाकिस्तान भारत का हिस्सा था तब 1903 में इस ट्रेन की शुरुआत फैसलाबाद में रहने वाले इंजीनियर गंगा राम ने की थी. उस वक्त तकनीक और सुविधाओं की कमी की वजह से इस ट्रेन को घोड़े खींचते थे. लेकिन हैरानी की बात तो ये है कि इतने सालों बाद जब तकनीक से सबकुछ किया जा सकता है, तब भी इस ट्रेन को एक घोड़ा ही खींच रहा है.
कौन थे गंगाराम
गंगाराम का जन्म 1851 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुआ था. पाकिस्तान के लोग उन्हें आज भी आधुनिक लाहौर के पितामह के रूप में जानते हैं. दरअसल, उन्होंने लाहौर में कई आधुनिक बिल्डिंगों का निर्माण किया था. साल 1903 में जब वो रिटायर हुए थे तो उन्हें राय बहादुर कि उपाधि से नवाजा गया था. उस समय ये सम्मान कुछ खास लोगों को ही मिलता था.
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