हर देश का अपना एक अलग झंडा होता है, जो उसके स्वतंत्र होने का संकेत देता है. विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रमों में झंडे को विशेष स्थान दिया जाता है. राष्ट्रीय ध्वज देश का गौरव होता है, जिसके अपमान का मतलब देश के हर नागरिक का अपमान है. जैसे भारत में 'तिरंगा' राष्ट्रीय ध्वज है, इसी तरह पाकिस्तान का भी अपना एक राष्ट्रीय ध्वज है. भारतीय ध्वज 3 रंगों का होता है, इसलिए इसे तिरंगा कहा जाता है. तिरंगे में शामिल हर रंग का एक अर्थ है. इसी तरह पाकिस्तान के ध्वज में शामिल रंगों के भी अपने अर्थ है.
पाकिस्तान का झंडा मुल्क की स्वतंत्रता से ठीक 3 दिन पहले यानी 11 अगस्त 1947 को अपनाया गया था. इस झंडे को संविधान सभा की बैठक में अपनाया गया था. जब ये ध्वज पाकिस्तानी डॉमिनियन (प्रभुसत्ता) का आधिकारिक झंडा बन गया तो इसके बाद वर्तमान इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान के जरिए इसे अपना लिया गया. पाकिस्तान के झंडे में हरे रंग का मैदान है, जिसके सेंटर में एक व्हाइट कलर का आधा चांद है और इसके बगल में एक स्टार बना हुआ है. झंडे के किनारे पर एक सफेद पट्टी है. बता दें कि पाकिस्तान के ध्वज को अमीरुद्दीन किदवई द्वारा डिजाइन किया गया था.
हरे और सफेद रंग किसका प्रतिनिधित्व करता है?
पाकिस्तानी ध्वज में शामिल हरा रंग मुल्क के बहुसंख्यक मुसलमानों के साथ-साथ इस्लाम का प्रतिनिधित्व करता है. जबकि सफेद रंग अल्पसंख्यक धर्मों का प्रतिनिधित्व करता है. झंडे में बने आधे चांद और स्टार की बात करें तो ये दोनों इस्लाम की पारंपरा यानी प्रगति और प्रकाश का प्रतीक हैं. पाकिस्तान का झंडा अल्पसंख्यक लोगों के अधिकारों और इस्लाम के प्रति नागरिकों की प्रतिबद्धता का प्रतीक है.
कैसे तय हुआ पाकिस्तान का ध्वज?
मालूम हो कि यह झंडा ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के ध्वज पर आधारित है. अमीरुद्दीन किदवई, जो कि एक डिजाइनर थे, उन्होंने मुस्लिम लीग के ध्वज का गहनता से अध्ययन किया. तब जाकर उनके दिमाग पाकिस्तान के लिए इस झंडे का निर्माण करने का ख्याल आया. पाकिस्तान में नई सरकार चलाने वाले लोगों को किदवई ने झंडे का यह डिजाइन दिखाया, जिसके बाद सरकार ने 1947 में 11 अगस्त को मुल्क के झंडे के रूप में इस डिजाइन को अपनाने के लिए हामी भर दी.
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