इस जानवर में ऐसा क्या है, जो हो रही इतनी ज्यादा तस्करी? एक की ही कीमत लाखों में है
एनवायरमेंटल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (EIA) ने करीब दो साल पहले अपनी एक रिपोर्ट में पेंगोलिन नाम के जंगली जानवर पर मंडरा रहे खतरे से अवगत कराया. आखिर क्यों इस छोटे से जीव की तस्करी हो रही है?
जब किसी देश में किसी प्रजाति के जीव की संख्या कम हो जाती है, तो फिर दूसरे देश से उस जीव को मंगाया जाता है. जैसे हाल ही में अपने देश में चीते इंपोर्ट किए गए थे. जंगली जानवर की संख्या कम होने की बड़ी वजह वातावरण में होने वाला प्रतिकूल बदलाव और बड़े स्तर पर इनका शिकार होना है. आज हम आपको एक ऐसे ही जानवर के बारे में बताएंगे, जिसकी बहुत बड़े स्तर पर तस्करी होती है. इसकी तस्करी को लेकर एनवायरमेंटल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी समेत पशुओं और पर्यावरण पर काम करने वाली कई संस्थाओं ने आशंका जताई है कि जल्द ही यह जानवर डोडो पक्षी की श्रेणी में आ जायेगा, जो लुप्तप्राय है.
एनवायरमेंटल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (EIA) ने करीब दो साल पहले अपनी एक रिपोर्ट में पेंगोलिन नाम के जंगली जानवर पर मंडरा रहे खतरे से अवगत कराकर सबको हैरान कर दिया था. एजेंसी ने कई ऑनलाइन साइट्स पर आरोप लगाया कि वो पेंगोलिन के शरीर से बने प्रोडक्ट्स बेच रहे हैं. इनमें दवाई बेचने वाली वेबसाइट्स शामिल थीं.
क्या होते हैं पेंगोलिन?
पेंगोलिन कीड़े खाने वाला एक स्तनधारी जानवर हैं. यह खास जीव अफ्रीका और एशिया के घने जंगलों में मिलता है. दिखने में ये रेप्टाइल्स की तरह लगते हैं. पेंगोलिन की जीभ करीब 40 सेंटीमीटर तक लंबी होती है, जिसकी मदद से ये चींटियां, दीमक और छोटे कीड़े के खाते हैं. एक पेंगोलिन हर साल करीब 70 मिलियन कीड़े खा जाता है.
क्यों खतरे में है ये जीव
पेंगोलिन की करीब 8 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से पांच प्रजातियों पर आने वाले समय में विलुप्त होने का खतरा बताया जा रहा है. इन सभी प्रजातियों का इस्तेमाल किसी न किसी तरह से TCM में किया जाता है. यानी चीन इस जानवर की तस्करी और उसे मारने में सबसे आगे है.
क्या है TCM
चीन में ट्रेडिशनल चाइनीज मेडिसिन (TCM), इलाज की एक ऐसी पद्धति है, जिसमें माना जाता है कि शरीर की एनर्जी से उनका इलाज होता है. जिसके तहत इलाज के लिए जड़ी-बूटियों सहित जानवरों के मांस या तेल तक का भी सेवन किया जाता है. पेंगोलिन भी इसी का एक हिस्सा है.
लाखों में है कीमत
1960 से लेकर अब तक चीन के जंगलों से 90% से ज्यादा पेंगोलिन खत्म हो चुके हैं. दवाई बनाने के लिए अब वियतनाम और अफ्रीका के जंगलों में इन्हे खोजा जा रहा है. इंटरनेशनल ब्लैक मार्केट में यह बहुत मोटी रकम पर बिकता है. इंडियन पेंगोलिन के एक किलो स्केल का दाम 1 लाख है और पूरा पेंगोलिन करीब 10 से 15 लाख तक में मिलता है.
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