Paris Olympics 2024: भारत का पहला ओलंपिक पदक विजेता, जो आज भी है एक रहस्य
Olympics: एक ऐसे शख्स ने भारत को पहला पदक जिताया था जिसकी जिंदगी के कई रहस्यों से आजतक कोई पर्दा नहीं उठा पाया है. चलिए आज उन्हीं की कहानी जानते हैं.
Paris Olympics 2024: नॉर्मन गिल्बर्ट प्रिचर्ड… ये वो शख्स हैं जिन्होंने भारत को पहला ओलंपिक पदक दिलाया था. साल 1900 में कलकत्ता से नॉर्मन गिल्बर्ट प्रिचर्ड, छुट्टियों के लिए इंग्लैंड गए थे और वहीं पर उन्होंने पेरिस ओलंपिक में भाग लेने का फैसला किया. एथलीट प्रिचर्ड ने दो रजत पदक जीते पहला 200 मीटर और दूसरा 200 मीटर बाधा दौड़. ये भारत का पहला ओलंपिक मेडल था. हालांकि सालों तक इस रहस्य से पर्दा नहीं उठ पाया कि रिचर्ड के परिवाार में कौन-कौन था और वो इसके बाद कहां गए. उनकी जिंदगी एक रहस्य थी.
कहां हुआ जन्म?
बुकानन और प्रोजेक्ट में उनके साथी गुलु ईजेकील ने प्रिचर्ड को 'रहस्यमयी व्यक्ति' बताया है. उनके मुताबिक नॉर्मन का जन्म 23 जून, 1875 को जॉर्ज पीटरसन प्रिचर्ड और हेलेन मेनार्ड प्रिचर्ड के घर अलीपुर, कलकत्ता में हुआ था. प्रिचर्ड्स 'फैशनेबल रॉबिन्सन रोड के एक घर में रहते थे और नॉर्मन प्रसिद्ध व्यापारिक कंपनी, बर्ड एंड कंपनी के लिए काम किया करते थे.
प्रिचर्ड एक बेहतरीन फुटबॉल खिलाड़ी थे और उन्होंने 1894-1900 के बीच लगातार सात बार बंगाल 100 यार्ड जीता था. उन्होंने 1898 और 1899 में 100 मीटर स्प्रिंट में 10.0 सेकंड का रिकॉर्ड बनाया. हालांकि ये किसी को नहीं पता कि वो इंग्लैंड क्यों गए थे. इस बात के कोई कागजात भी नहीं मिले हैं, लेकिन एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के एक लेख के मुताबिक, ऐसा माना जाता है कि वो वहां छुट्टी मनाने गए थे. दरअसल यह असंभव था कि प्रिचर्ड ओलंपिक खेलों में भाग लेने के लिए यूरोप गए हों. क्योंकि, ये कोई ऐसी खबर नहीं थी जो यूरोप के दूसरे हिस्सों तक भी पहुंच पाती. यूरोप से कलकत्ता कई मील दूर था, लिहाजा वहां तक ये खबर पहुंचना संभव नहीं था.
जब रिचर्ड को लेकर छिड़ी बहस
वर्ल्ड एथलेटिक्स ने साल 2005 में 2004 ओलिंपिक के लिए ट्रैक और फील्ड के आधिकारिक रिकॉर्डों की एत किताब जारी की थी, जिसमें लिखा गया था कि नॉरमैन ने ब्रिटेन की ओर से ओलंपिक में हिस्सा लिया था. इसके अलावा उनके मेडल्स को ग्रेट ब्रिटेन के रिकॉर्ड में शामिल किया गया था. हालांकि आईओसी के अनुसार, नॉरमैन ने भारत की ओर से हिस्सा लिया था और मेडल्स को भारत के कोटे में शामिल किया गया.
नाम बदलकर हॉलीवुड गए?
कहा जाता है कि इसके बाद साल 1905 में अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत करने के लिए वो अमेरिका चले गए थे. साल 2002 में ईस्ट जोन के पूर्व कप्तान और क्रिकेटर राजू मुर्खजी ने इस बात का खुलासा किया था कि नॉरैमन हॉलीवुड में नॉरमैन ट्रेवर नाम से काम करने लगे थे. रिचर्ड ने कुछ साइलेंट फिल्मों में काम किया जिसके पोस्टर काफी समय बाद फैंस के सामने आए थे. नॉरमैन का पूरा नाम गिल्बर्ट नॉरमैन पिटकार्ड और स्क्रीन के लिए ट्रेवर ना था. उनके परिवार से लगभग सभी पुरुषों का नाम इन्हीं नामों पर रखा जाता है. कहा ये भी जाता है कि एक बार ओंलपिक में रूस में उन्हें दर्शकों के रूप में देखा गया था, हालांकि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है. उनके जीवन की खोज करने वाले पत्रकार की मानें तो उन्होंने कैलिफोर्निया में साल 1929 आखिरी सांस ली थी.