Paris Olympics 2024: दुनिया में कई चीजें ऐसी हैं जिन्हें बायकॉट का सामना करना पड़ा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनियाभर के खिलाड़ियों को इकट्ठा करने वाला ओलंपिक भी इसका सामना कर चुका है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि कब-कब इस तरह की घटनाएं हुई हैं.
जब मेक्सिको में ओलिपिंक का विरोध करने वाले छात्रों की हुई हत्या
बात 2 अक्टूबर 1968 की है, जब ओलिंपिक की ओपनिंग सेरेमनी से ठीक दस दिन पहले हजारों की संख्या में छात्र मेक्सिको सिटी के ट्लाटेलोल्को प्लाजा नाम के स्थान पर एक साथ आए, इन छात्रों की मांग थी कि सरकार ओलिंपिक पर ढेर सारा पैसा खर्च करने के बजाय इसे देश के लोगों के हित में इस्तेमाल करे. इस दौरान छात्र शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे लेकिन मेक्सिको सरकार कुछ और ही चाहती थी.
प्लाजा के आस-पास की छतों पर 300 से ज्यादा सरकारी स्नाइपर्स तैनात रहते हैं. जो अचानक ही निशाना साधते हुए छात्रों पर गोली बरसाना शुरू कर देते हैं. इसके बाद अगले कुछ मिनटों में ट्लाटेलोल्को प्लाजा 200-300 शवों से भर गया. इस घटना में कई लोग घायल भी हुए. इसके 10 दिन बाद ओलंपिक में इसका विरोध देखा गया और कई खिलाड़ियों ने मृतकों को अपने तरीके से श्रद्धांजली दी. इसके बाद 1972 में ओलंपिक का विरोध भी देखा गया.
1976 में भी हुआ बायकॉट
रंगभेद के कारण दक्षिण अफ्रीका को 1964 से 1992 तक ओलिंपिक से बैन झेलना पड़ा. इस बॉयकॉट के अलावा भी 1976 के ओलिंपिक से कई कड़वी यादें हैं. इसके बाद कनाडा 1.6 बिलियन कनाडाई डॉलर के कर्ज में डूब गया था, जिससे उबरने में उसे कई साल लग गए, हालांकि ओलिंपिक अपने बॉयकॉट ट्रेंड से जल्दी उबर नहीं सका. ये अगले दो आयोजन तक वैसा ही बना रहा.
1980 के बॉयकॉट का बदला में 1984 में देखने को मिला. इस साल आयोजन लॉस एंजिलिस में होना था. खेल शुरू होने के कुछ महीनों पहले ही USSR ने अमेरिका पर खेलों के सहारे राजनीति भड़काने का आरोप लगाया. उसने लॉस एंजिलिस में अपने खिलाड़ियों की जान को खतरा बताते हुए सोवियत यूनियन खिलाड़ियों को भेजने से मना कर दिया. सोवियत यूनियन की तरह 13 और देशों ने 1984 ओलिंपिक में अपने खिलाड़ियों को भेजने से इनकार कर दिया. इस बार भी मेडल टैली और कॉम्पिटिशन पर बॉयकॉट का असर दिखा. इस तरह ओलंपिक कई बार बॉयकॉट झेल चुका है.
यह भी पढ़ें: ज्यादा क्यों थूकते हैं फुटबॉल खिलाड़ी? वजह जानकर हैरान रह जाएंगे आप