संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है. संसद के मॉनसून सत्र के दौरान देशभर के सांसद दिल्ली में आकर संसद भवन में सत्र का हिस्सा बनते हैं. देशभर से राज्यसभा और लोकसभा के सांसद यहां आते हैं. इस दौरान सांसदों को खास सुविधाएं दी जाती हैं और नियमों के हिसाब से इस दौरान सासंदों को कई भत्ते मिलते हैं. तो आज हम आपको बताते हैं कि संसद सत्र के दौरान सांसदों को किन-किन चीजों का पैसा मिलता है और सैलरी के साथ कितने तरह के भत्ते मिलते हैं.


सत्र के दौरान सांसदों को क्या-क्या मिलता है?


- द सैलरी, अलाउंसेस एंड पेंशन ऑफ मेंबर ऑफ पार्लियामेंट एक्ट, 1954 के नियमों के हिसाब से जब भी संसद का सत्र चलता है तो सांसद को कई भत्ते अलाउंस दिए जाते हैं. नियमों के अनुसार, संसद सत्र के दौरान हर सांसद को सत्र अटेंड करने के लिए ट्रेवल अलाउंस मिलता है. इसके साथ ही अगर कमेटी की भी कोई मीटिंग होती है तो सांसद को सरकारी खजाने से ट्रैवल का पैसा दिया जाता है. 


- इसके अलावा जब संसद सत्र चल रहा हो, उस वक्त सांसद के पति या पत्नी, सांसद के साथ ट्रेवल करते हैं तो उन्हें भी इसकी इजाजत होती है और इस यात्रा के लिए सासंद को भत्ता दिए जाने का प्रावधान है. हालांकि, इस तरह की जर्नी साल में 8 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. 


- अगर कोई सांसद सत्र के दौरान 15 दिन से कम वक्त तक सत्र में आकर कहीं यात्रा करता है तो उसे भत्ता मिलता है, लेकिन 15 दिन से ज्यादा होने पर ऐसा नहीं होता है. 


- जो सांसद लक्ष्यद्वीप, अंडमान निकोबार जैसे क्षेत्र से हैं, उन्हें फ्री ट्रांसिट स्टीमर पास दिया जाता है, जिससे वे रेल, एयर के साथ स्टीमर के जरिए भी यात्रा कर सकते हैं. 


- अगर कोई सांसद सत्र में 15 दिन से ज्यादा छुट्टी करता है तो उन्हें भत्ते आदि की सुविधाएं नहीं मिलती हैं. इसके साथ ही  साल में 8 जर्नी का पैसा ही भत्ते के रुप में दिया जाता है. 


- बता दें कि सत्र में शामिल होने के लिए आने वाले ट्रेवल के साथ वापस संसदीय क्षेत्र तक जाने का खर्चा भी भत्ते में शामिल होता है. 


सासंदों को क्या मिलता है?


संसद सत्र के दौरान मिलने वाले भत्तों के साथ सांसदों को सैलरी भी मिलती है. इसके साथ ही उन्हें पेंशन, स्टेशनरी, ऑफिस खर्चा, ट्रैवल, इंश्योरेंस आदि का पैसा भी अलग से मिलता है. 


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