Parliament of India: संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है. आपने गौर किया होगा कि जब भी संसद का सत्र चलता है तो प्रधानमंत्री से लेकर बाकी नेता संसद में एक निर्धारित स्थान पर ही बैठे दिखाई देते हैं. वहीं एक ओर विपक्ष के नेता बैठे रहते हैं. ऐसे में कभी आपने सोचा है कि आखिर ये कैसे तय होता है कि कौन-से सांसद कहां बैठेंगे? क्या यहां भी इन लोगों के बैठने के लिए कोई जगह फिक्स होती है? अगर आपके मन में भी ये सवाल है और आप इसका जवाब जानना चाहते हैं तो इसके लिए आपको इस आर्टिकल को पढ़ना होगा. आज हम आपको बताते हैं कि यह किस तरह डिसाइड होता है कि संसद में किस नेता को कहां बैठना है?
कितनी सीटें होती हैं संसद में?
लोकसभा में करीब 6 ब्लॉक और 11 लाइनें होती हैं. लोकसभा में लगभग 550 लोगों के बैठने की जगह होती है. साथ ही सामने स्पीकर की कुर्सी होती है, जो हर सासंद की सीट से विजिबल होती है. इन सीटों में 22 सीटें फ्रंट सीट कही जाती है जो सबसे आगे की तरफ होती हैं.
कौन कहां बैठता है?
देश में किसी भी राजनीतिक पार्टी का कार्यकाल समाप्त होने पर फिर से चुनाव होते हैं और चुनाव में जब मंत्री जीतकर आते हैं तो लोकसभा में सभी पार्टियों के जीतने वाले उम्मीदवारों के आधार पर ब्लॉक का विभाजन किया जाता है. यहां हर ब्लॉक में पार्टी के हिसाब से उम्मीदवार बैठते हैं. लोकसभा में प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी के सांसदों को स्पीकर के बाएं तरफ वाली सीटें अलॉट होती हैं, जबकि बाकी पार्टियों के सासंद दाईं ओर बैठते हैं.
पहली लाइन पर कौन बैठता है?
लोकसभा में पहली लाइन में नेता प्रतिपक्ष के साथ उप स्पीकर बैठे होते हैं. वहीं, लोकसभा में ब्लॉक पार्टियों को दिए जाते हैं. अब पार्टी यह अपने हिसाब से तय करती है कि कौन किस जगह बैठेगा और कौन फ्रंट लाइन में बैठेगा. वर्तमान में कार्यभार संभाल रहे सत्ताधारी दल के ब्लॉक में पहली सीट पर प्रधानमंत्री के साथ उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता बैठते हैं. साथ ही पहली लाइन में सत्ताधारी पार्टी को भी सीटें दी जाती हैं, ये सीटें उनकी ओर से जीती गई सीट के आधार पर आवंटित होती हैं.
हर सासंद के लिए तय होती है सीट?
संसद में सीट का अलॉटमेंट ब्लॉक के आधार पर होता है. यह चुनाव में हर पार्टी के जीतने वाले उम्मीदवारों की संख्या के आधार पर तय होता है. चुनाव नतीजों के बाद ही पार्टियों को ब्लॉक आवंटित कर दिए जाते हैं. हालांकि, लोकसभा या संसद में अक्सर सदस्यों की सीनियर्टी के आधार पर उन्हें आगे बैठाया जाता है. स्पीकर किसी भी पार्टी के सदस्यों की संख्या के आधार पर उनके बैठने की जगह निर्धारित करते हैं.
फॉर्मूले के आधार पर मिलती हैं सीटें
इसके लिए एक फॉर्मूला भी इस्तेमाल किया जाता है. इस फॉर्मूले में किसी पार्टी या गठबंधन को मिली कुल सीटों को उस लाइन की कुल सीटें की संख्या से गुणा करके लोकसभा में सीटों की कुल संख्या से विभाजित कर दिया जाता है. उदाहरण के लिए मान लीजिए किसी पार्टी ने 353 सीटें जीती हैं तो लाइन में कुल 20 सीटें हैं तो फॉर्मूले के हिसाब से (352×20)÷ 550 = 12.8 यानी 13 सीट.
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