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महाभियोग और अविश्वास प्रस्ताव में क्या होता है अंतर, किसके खिलाफ डाले जाते हैं वोट

आज पार्लियामेंट सेशन के दौरान विपक्ष ने राज्यसभा से वॉकआउट कर लिया, अब कहा जा रहा है कि राज्यसभा सभापति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है.

संसद का मानसूत्र सत्र काफी हंगामेदार रहा. जहां लोकसभा और राज्यसभा दोनों में ही बजट को लेकर चर्चाएं हुईं. हालांकि राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ और जया बच्चन के बीच हुई नोंकझोंक के बाद विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर लिया. वैसे तो कहा जाता है कि नाम में क्या रखा है, लेकिन यहां पूरा मामला नाम को लेकर ही है.

दरअसल सभापति सभापति जगदीप धनखड़ ने जया बच्चन को जया अमिताभ बच्चन कहकर संबोधित किया था, जिसके बाद से ही वो लगातार अपनी नाराजगी व्यक्ति कर रही थीं, इसके बाद बीजेपी के सांसद घनश्याम तिवारी ने सदन में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बीच मामला था, लेकिन खरगे को बोलने का मौका नहीं मिल पा रहा था, ऐसे में जया बच्चन ने सभापति के बोलने की शैली पर सवाल उठा दिया. इसके बाद सदन से विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया, अब कहा ये जा रहा है कि विपक्ष राज्यसभा सभापति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव ला सकते हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर महाभियोग प्रस्ताव और अविश्वास प्रस्ताव में क्या अंतर होता है.

क्या होता है महाभियोग प्रस्ताव?

महाभियोग शब्द का अर्थ किसी पद पर बैठे व्यक्ति को उस पद की सभी शक्तियों और जिम्मेदारियों से हटाने का निर्णय लेने में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया से है. इसका ज़िक्र संविधान के अनुच्छेद 61, 124 (4), (5), 217 और 218 में मिलता है. महाभियोग प्रस्ताव उसी समय लाया जा सकता है जब संविधान का उल्लंघन, दुर्व्यवहार या अक्षमता साबित हो गए हों. नियमों के अनुसार, महाभियोग प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में लाया जा सकता है. हालांकि लोकसभा में इसे पेश करने के लिए 100 सांसदों, तो वहीं राज्यसभा में इसे पेश करने के लिए 50 सासंदों के दस्तखत की जरुरत होती है.

क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव?

अविश्वास प्रस्ताव की बात करें तो लोकसभा में यदि किसी भी प्रतिपक्ष पार्टी को ऐसा लगता है कि सत्‍तारूढ़ दल या सरकार सदन में अपना विश्‍वास खो चुकी है और देश में सरकार की नीतियां ठीक नहीं हैं तो उस समय अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है. इसे नो कांफिडेंस मोशन भी कहा जाता है. विपक्ष यह दावा करता है कि सरकार के पास बहुमत नहीं है, ऐसे में सरकार को इसे साबित भी करना होता है. इस प्रस्‍ताव का प्रावधान संविधान के आर्टिकल 75 में किया गया है. इसके मुताबिक, सदन में बहुमत साबित न करने पर प्रधानमंत्री सहित कैबिनेट को त्‍याग पत्र देना होता है.

यह भी पढ़ें: विनेश फोगाट का ओलंपिक वाला केस लड़ेंगे हरीश साल्वे, अब तक इन बड़े मामलों को भी कर चुके हैं डील

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