अगर आप अपने देश से बाहर जाते हैं तो आपके पास जो सबसे जरूरी डाक्युमेंट होना चाहिए वो है आपका पासपोर्ट. बिना इसके आपको किसी भी देश में घुसने की इजाजत नहीं दी जाती है. हालांकि, सिर्फ पासपोर्ट से काम नहीं बनता. किसी भी देश में जाने के लिए आपको वहां का वीजा भी लेना पड़ता है. लेकिन हर देश के पासपोर्ट को इतनी आसानी से किसी भी देश का वीजा नहीं मिलता.


जबकि, कुछ देशों के पासपोर्ट इतने पावरफुल होते हैं कि उन्हें हर देश का वीजा तुरंत मिल जाता है. इन्हीं देशों के पासपोर्ट को दुनिया का सबसे ताकतवर पासपोर्ट माना जाता है. इसकी रैंकिंग हर साल हेनली एंड पार्टनर्स कुछ मानकों को आधार मानकर तय करते हैं. लेकिन इस बार एक नई बात हुई है. इस बार नंबर 1 पर 6 देश हैं. अब सवाल उठता है कि जब नंबर 1 पर 6 देश हैं तो फ्रांस को ही टॉप पर क्यों रखा गया.


भारत की रैंकिंग गिरी


हेनली एंड पार्टनर्स ने साल 2024 को लेकर जो पासपोर्ट इंडेक्स जारी किया है, उसमें भारत 5 पायदान नीचे फिसल गया है. 2023 में जिस भारत का स्थान 80वां था, 2024 ये गिरकर 85वां हो गया है. हालांकि, 2023 में जहां भारतीय पासपोर्ट धारक सिर्फ 57 देशों में ही बिना वीजा के ट्रैवेल कर सकते थे, 2024 में वह 62 देशों में बिना वीजा के ट्रैवेल कर सकते हैं.


पाकिस्तान का क्या हाल है


पाकिस्तान का पासपोर्ट दुनिया का चौथा सबसे कमजोर पासपोर्ट है. इस देश की पासपोर्ट रैंकिंग 106 है. पाकिस्तानी पासपोर्ट धारक सिर्फ 34 देशों में ही वीजा फ्री ट्रैवेल कर सकते हैं. आपको बता दें, हेनले एंड पार्टनर्स यह रैंकिंग इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) के डेटा के आधार पर जारी करते हैं.


फ्रांस ही नंबर 1 पर क्यों?


हेनली एंड पार्टनर्स की रैंकिंग में इस बार 6 देश नंबर 1 पर हैं. इनमें फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, सिंगापुर और स्पेन शामिल हैं. इन सभी देशों की रैंकिंग 1 है और इन सभी देशों के पासपोर्ट धारकों को 194 देशों में वीजा फ्री एंट्री है. अब सवाल उठता है कि जब सबकुछ सेम है तो फ्रांस को ही टॉप पर क्यों रखा गया. दरअसल, ये अल्फाबेटिकल सिरीज की वजह से है. यानी अगर कई देश एक ही पोजीशन पर होते हैं तो उनमें नंबरिंग अल्फाबेटिकल सिरीज के हिसाब से होती है.


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