Bed Like Coffin: जब 'ताबूत' जैसे बिस्तर पर सोने के लिए लोगों को देने पड़ते थे पैसे, जानें किस देश में होता था यह घिनौना काम?
Bed Like Coffin: ताबूत का नाम सुनते ही इंसान की रूह कांप जाती है, लेकिन सोचिए कि अगर लोग जीते जी ताबूत में रहने के लिए मजबूर हों तो क्या किया जाए. लंदन में एक वक्त पर लोग ताबूत में रहने के लिए पैसे चुकाते थे.

Bed Like Coffin: कोई भी इंसान जीते जी ताबूत में नहीं रहना चाहता है. मरने के बाद तो एक दिन ताबूत में जाना है, लेकिन अगर कोई जीते जी ताबूत में रहने पर मजबूर हो तो वो उस देश के लिए काफी शर्म की बात है. लेकिन 19वीं और 20वीं सदी की शुरुआत में साल्वेशन आर्मी द्वारा अपने बेसहारा ग्राहकों को आराम और सहायता प्रदान करने के लिए कॉफिन हाउस सेंट्रल संचालित किया गया था. इस दौरान कोई भी बेसहारा ग्राहक चार पैसे देकर इस घर में रह सकता था. इस दौरान उसे खाना और आश्रय मिलता था.
कॉफिन में रहने के लिए पैसे देते थे लोग
इस कॉफिन हाउस में उस ग्राहक को ताबूत के आकार के लकड़ी के बक्से में सोने और अपनी पीठ के बल लेटने की अनुमति थी. सोते समय ग्राहकों को ढकने के लिए तिरपाल दिया गया था. ये उस दौर में अनोखा इसलिए था कि यह उस समय लंदन में सबसे सस्ता बेघर आश्रय था, जो अपने ग्राहकों को सोने की अनुमति देता था. साल्वेशन आर्मी ने भी आश्रय की पेशकश की थी, लेकिन उनके घर बहुत अधिक कीमत के होते है और ऐसे लोगों के लिए उसके पैसे चुका पाना मुमकिन नहीं था. इसलिए, कॉफिन हाउस वहां लोकप्रिय था, क्योंकि यह ठंड से राहत की तलाश कर रहे बेघर ग्राहकों के लिए एक किफायती समाधान प्रदान करता था.
हांगकांग में ताबूतों में रहने पर मजबूर लोग
हालांकि ये तो बात हो गई लंदन में 19वीं और 20वीं सदी की, लेकिन आज की तारीख में भी एक शहर ऐसा है, जहां पर लोग ताबूत की तरह के बिस्तर पर सोने के लिए मजबूर हैं. इस शहर का नाम है हांगकांग. इसे दुनिया का सबसे महंगा शहर कहा जाता है. बढ़ते कारोबार ने इस शहर को बहुत महंगा बना दिया है. वहां एक ब्रेड की कीमत भी करीब 300 रुपये है तो सोचिए रहने के लिए कितना खर्च होता होगा. यहां घरों की कीमतें आसमान छू रही हैं, यही वजह है कि लोग कॉफिन होम्स में रहते हैं.
15 हजार कियारा देने पर भी नहीं मिल रहे ढंग के घर
यहां पर ये लोग 1.9 मीटर के ताबूत जैसे बॉक्स में रहने के लिए मजबूर हैं. ये इतने छोटे हैं कि इनमें एक आदमी से ज्यादा नहीं रह सकता है. इनमें सही तरीके से लेटने के लिए भी जगह नहीं है. सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात है कि लोग इसमें रहने के लिए 15 हजार किराया देने के लिए भी तैयार हैं. इतना रुपया देने के बाद भी इनको रहने के लिए एक ढंग का कमरा नहीं मिलता है. वहां की सरकार की मानें तो करीब 2 लाख लोग इस तरीके से रह रहे हैं.
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