आधी रात में लाठियां लेकर एक दूसरे को मारने लगते हैं लोग, जमकर बहता है खून- अजीब है यह रिवाज
भारत में कई रिवाज ऐसे हैं जो सुनने में बेहद अजीब लगते हैं लेकिन कई साल से चले आ रहे हैं. आज हम आपको आंध्र प्रदेश में निभाए जाने वाले एक ऐसी ही परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं.
![आधी रात में लाठियां लेकर एक दूसरे को मारने लगते हैं लोग, जमकर बहता है खून- अजीब है यह रिवाज people start hitting each other with sticks in the middle of the night blood flows profusely know this strange custom आधी रात में लाठियां लेकर एक दूसरे को मारने लगते हैं लोग, जमकर बहता है खून- अजीब है यह रिवाज](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/09/07/259741a942c4c31fa1e1d1108f1b2c771725715360717742_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में स्थित देवरागट्टू मंदिर एक अनोखी परंपरा के लिए प्रसिद्ध है. हर साल इस मंदिर में एक ऐसा डरावना और रहस्यमय आयोजन किया जाता है, जिसमें भक्तगण एक दूसरे पर लाठियां चलाते हैं. ये परंपरा शिव द्वारा राक्षस का वध करने की घटना की याद में मनायी जाती है. चलिए आज हम आंध्र प्रदेश की इसी अजीब परंपरा के बारे में जानते हैं.
क्या है इतिहास?
कैसा लगे जब आप पर आधी रात को कोई लाठियां बरसाने लगे? आंध्र प्रदेश के देवरागट्टू मंदिर में कई सालों से ये अनोखी परंपरा चली आ रही है. दरअसल देवरागट्टू मंदिर में ये परंपरा जिसे स्थानीय लोग "लाठी पूजा" या "लाठी जुलूस" भी कहते हैं, हर साल एक खास दिन मनाया जाता है. यह परंपरा रात से शुरू होती है और सुबह तक चलती है. इस दौरान भक्तगण एक दूसरे पर लाठियों से हमला करते हैं, जिससे कई लोगों के सिर से तो खून की धार बहने लगती है. यह सीन देखकर किसी का भी दिल दहल सकता है, लेकिन यहां यह परंपरा श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है.
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इतने साल पुरानी है परंपरा
यह परंपरा 100 साल से भी अधिक पुरानी मानी जाती है. स्थानीय मान्यता के मुताबिक, शिव ने एक राक्षस का वध करने के लिए लाठी का उपयोग किया था. इस घटना की स्मृति में, भक्तगण यह भयावह परंपरा आज भी निभाते हैं. इसे इस विश्वास के साथ किया जाता है कि इस अनुष्ठान के माध्यम से वे शिव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बन सकते हैं.
रात के अंधेरे में शुरू होता है आयोजन
इस दिन भक्तगण एक विशेष जगह पर इकट्ठा होते हैं और लाठियों के साथ एक दूसरे पर हमला करते हैं. यह घटना रात के अंधेरे में शुरू होती है और सुबह तक चलती रहती है. इसमें भाग लेने वाले लोग परंपरागत वस्त्र पहनते हैं और अक्सर खून से लथपथ हो जाते हैं. इस दौरान मंदिर का वातावरण तनावपूर्ण और उत्तेजित होता है, लेकिन यह परंपरा श्रद्धा और भक्ति से भरी होती है.
इस भयावह धार्मिक आयोजन को सुरक्षित तरीके से आयोजित करने के लिए पुलिस और मेडिकल अटेंडेंट की तैनाती की जाती है. पुलिस बल की मौजूदगी यह सुनिश्चित करती है कि किसी को ज्यादा चोट न लगे और कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा बनी रहे. मेडिकल टीम चोटिल लोगों को तुरंत प्राथमिक उपचार प्रदान करती है और सुनिश्चित करती है कि स्थिति नियंत्रण में रहे.
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